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मध्यप्रदेश में तकनीकी शिक्षा सुविधाओं में बढ़ोत्तरी



विद्यार्थियों का भी तकनीकी शिक्षा के प्रति बढ़ा रूझान
राज्य सरकार के नियोजित प्रयासों से प्रदेश में तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की संख्या एवं प्रवेश क्षमता में प्रभावी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2005 की तुलना में पिछले वित्त वर्ष तक बी.ई. में विद्यार्थियों की संख्या लगभग पाँच सौ और डिप्लोमा पाठ्यक्रम में चार सौ प्रतिशत बढ़ी है। इस अवधि में इंजीनियरिंग कॉलेज की संख्या में 336 और पॉलीटेक्निक कॉलेज की संख्या में 329 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2004-05 में इंजीनियरिंग कॉलेज 63 थे जो वर्ष 2015 में बढ़कर 212 हो गये। इसी तरह पॉलीटेक्निक कॉलेज की संख्या 44 से बढ़कर 145 हो गई।

आई.टी.आई. की सीट 18 हजार 664 से बढ़कर एक लाख 30 हजार 564

प्रदेश में कौशल उन्नयन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य पिछले 11 वर्ष में हुआ है। वर्ष 2005 में कुल आई.टी.आई.171 थे, जो अब 930 हो गए हैं। इनमें शासकीय आई.टी.आई. की संख्या 141 से बढ़कर 225 हो गयी है। आई.टी.आई. में सीटों की संख्या 18 हजार 664 से बढ़कर एक लाख 19 हजार 665 हो गयी है।

विकास के नये आयाम

प्रदेश में पिछले 11 वर्ष में तकनीकी शिक्षा के विकास में नये आयाम स्थापित हुए हैं। वर्ष 2005 में जबलपुर में इंडियन इंस्ट्रीटयूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नालॉजी, डिजायन एण्ड मेन्यूफेक्चरिंग की स्थापना हुई। वर्ष 2008 में भोपाल में नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ फैशन टेक्नालॉजी, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साईंस एजुकेशन एण्ड रिसर्च और स्कूल ऑफ प्लांनिंग एण्ड आर्किटेक्चर की स्थापना हुई। वर्ष 2009 में आई.आई.टी. इंदौर की शुरूआत हुई।

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रवेश के 86 शासकीय/निजी इंजीनियरिंग एवं पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में चुना गया है। इनमें बेरोजगार युवओं को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जायेगा। पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों में आई.टी.आई. से संबंधित प्रशिक्षण दिलवाने की भी योजना है। चार पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में कम्युनिटी कॉलेज की स्थापना की गयी है। इससे इन महाविद्यालय में निर्धारित समय के बाद विद्यार्थियों को विशेष ट्रेड में प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था हुई है।

शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार

शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिये अमले की पूर्ति के विशेष प्रयास भी पिछले ग्यारह वर्ष में किये गये। पॉलीटेक्निक महाविद्यालयों में 315 और इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में 44 पद पर भर्ती की जा चुकी है। विद्यार्थियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय को ऑनलाइन उपस्थिति भेजने के साथ ही संस्था की बेवसाइट पर भी अपलोड की जाती है। संस्थाओं में विषय-विशेषज्ञों के व्याख्यान करवाये जा रहे हैं। प्रचलित पाठ्यक्रमों में जरूरत के अनुसार बदलाव तथा कौशल विकास पर चर्चा के लिए शिक्षकों, विशेषज्ञों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों और नैस्काम के प्रतिनिधियों के साथ गहन विमर्श के लिये कार्यशाला की गयी। इस वर्ष अगस्त से अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिये बायो-मेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू की गई है।

भविष्य की योजनाएँ

प्रदेश में दो नये तकनीकी विश्वविद्यालय उज्जैन एवं जबलपुर में शुरू करने, शिवपुरी में एनटीपीसी के सहयोग से इंजीनियरिंग महाविद्यालय प्रारंभ करने, सिंगरौली में भारत सरकार, इस्पात मंत्रालय तथा म.प्र. माईनिंग कार्पोरेशन के सहयोग से इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में धार में इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना, जिला मुख्यालयों पर एक हजार परीक्षार्थियों की क्षमता वाले ऑनलाईन परीक्षा केन्द्रों का पीपीपी मोड में निर्माण, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, नई दिल्ली की योजना में वर्तमान में संचालित पॉलीटेक्निक कॉलेज में आईटीआई प्रशिक्षण संस्थाओं को प्रारंभ करने और आगर-मालवा में नवीन पॉलीटेक्निक कॉलेज की स्थापना अगले सत्र से प्रस्तावित है।

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