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प्रदेश में उच्च शिक्षा में सेमेस्टर प्रणाली बंद होगी ?



संदीप कुलश्रेष्ठ

            प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभानसिंह पवैया ने पिछले दिनो में यह घोषणा की हैं कि मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा में सेमेस्टर प्रणाली बंद होगी। उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि सेमेस्टर प्रणाली कब से और किस शैक्षणिक सत्र से बंद होगी। यहां यह उल्लेखनीय हैं कि देशभर में सेमेस्टर प्रणाली लागू हैं, ऐसी स्थिति में प्रदेश में सेमेस्टर प्रणाली बंद कर पाएंगे या नहीं कर पाएंगे यह प्रष्नचिन्ह हैं ।
           मध्यप्रदेश में इसी भाजपा सरकार ने वर्ष 2008-2009 में देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में सेमेस्टर प्रणाली लागू करके वाहवाही लूटी थी। अब इसी मध्ष्प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने यह घोषणा की हैं कि अब ये प्रणाली प्रदेश में बंद होगी। यहां खास बात यह है कि उच्च षिक्षा विभाग की नियामक संस्था विष्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अनुमति लिए बगैर ही राज्य सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा सेमेस्टर प्रणाली बंद करने का ऐलान किया हैं ? यह सबकों भलीभांति विदित है कि प्रदेश ही नहीं देश के सभी राज्यों में उच्च शिक्षा विभाग में यूजीसी के ही नियम और निर्देश लागू होते हैं। यूजीसी द्वारा ही विश्वविद्यालयों को और कालेजों को प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये का अनुदान दिया जाता हैं। उसी राशि से महाविद्यालय और विश्वविद्यालय भलीभांति संचालित होते हैं।
             प्रदेश में सेमेस्टर प्रणाली लागू करने की पूर्व की व्यवस्था और वर्तमान सेमेस्टर प्रणाली के लाभ हानि  की विवेचना करने के लिए प्रदेश के षिक्षाविदों के सुझावों की आवश्यकता हैं। अच्छा होता यदि राज्य सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री उच्च षिक्षा में सेमेस्टर प्रणाली समाप्त करने के ऐलान के पहले शिक्षाविदों की राय लेते ? इसके बाद ही सेमेस्टर प्रणाली की कमियों को बताते हुए पुरानी व्यवस्था लागू करने की बात कही जानी चाहिए थी। किंतु ऐसा नहीं हुआ हैं।
               प्रदेश में सेमेस्टर सिस्टम समाप्त हो और देश के अन्य राज्यों में सेमेस्टर पद्धति लागू रह,े ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों के सामने आने वाली समस्याओं पर भी विस्तार से सोचने, समझने और मनन करने की आवश्यकता हैं। हालांकि उच्च शिक्षा मंत्री की घोषणा के संबंध में विस्तृत ब्यौरा अभी आना बाकी है कि किन आधारो ंपर यह निर्णय लिया गया हैं? इस संबंध में भविष्य की उनकी क्या योजनाए ंहैं ?  इसका खुलासा अभी होना बाकी हैं।
               देश भर के शिक्षा विदों की राय लेकर हाल ही में 5वीं और 8वीं कक्षाओं में बंद हो चुकी बोर्ड परीक्षा फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में सेमेस्टर प्रणाली में साल भर में दो बार परीक्षा आयोजित करने से विद्यार्थी पर बोझ कम होता हैं। निर्धारित विषयों की पढ़ाई और तैयारी के बाद छह माह में सेमेस्टर की परीक्षा होती है। फिर आगामी छह माह में अन्य विषयों के अध्ययन, अध्यापन और परीक्षा का सेमेस्टर प्रणाली में प्रावधान हैं। इसके पूर्व की पद्धति में साल भर में समस्त विषयों की केवल एक बार परीक्षा होती थी। इसमें विद्यार्थी की शुरूवात के महिनों में अध्ययन के प्रति रूचि कम हो जाती थी। और केवल परीक्षा के दिनों में ही वह पढ़ता था। सेमेस्टर प्रणाली में विद्यार्थी को सतत कक्षा में अध्ययन के लिए आना भी होता हैं। और निर्धारित विषयों की छह माह में ही परीक्षा हो जाने से मनोवैज्ञानिक रूप से उसके लिए यह सुविधाजनक भी रहता हैं।
                 प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभानसिंह पवैया को अपनी हाल ही में की गई घोषणा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हैं। यह शिक्षा और छात्र के व्यापक हित में आवश्यक भी है कि सेमेस्टर प्रणाली प्रदेश में सतत लागू रहे। रही बात सेमेसटर प्रणाली की कमियों की , तो उसे दूर करने की जरूरत हैं। कमियों को दूर करने से प्रदेश में लागू सेमेस्टर प्रणाली से छात्र और शैक्षणिक जगत इससे लाभान्वित होंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को भी इस संबंध में गंभीरता पूर्वक सोचने और छात्र हित में निर्णय लेने की अपेक्षा हैं।
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