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जेल में जैन संत ने की आहारचर्या



कैदियों को दिलाया मांस, मदिरा का सेवन न करने, दूसरों की हत्या न करने का नियम
उज्जैन। उपाध्याय निर्भयसागर महाराज संघ सहित पदयात्रा करते हुए मंगलवार सुबह भैरवगढ़ जेल पहुंचे। जहां जेल में कैदियों को प्रवचन दिये साथ ही उपाध्यायश्री ने आहारचर्या भी जेल में ही ग्रहण की।
समाज के पवन बोहरा के अनुसार भैरवगढ़ में उपाध्याय श्री ने जैन मंदिर के दर्षन किये एवं जेल में स्थित मां पद्मावती परिषद का अवलोकन किया। कैदियों ने कतारबध्द होकर मुनिश्री की आहारचर्या देखी। इससे पूर्व उपाध्यायश्री ने कैदियों को संबोधित करते हुए कहा अच्छा काम करोगे तो अच्छी गति मिलेगी और बुरा करोगे तो बुरी। पाप छोड़ों और परमात्मा से प्यार करो। हमारे देष में अंग्रेजो जैसी यातनाएं जेल में नहीं दी जाती इसलिए अब कारागाह को सुधारग्रह कहा जाता है। यहां बदले की भावना नहीं बदलने की भावना पैदा करो। हम भी राम, महावीर, हनुमान बन सकते हैं क्योंकि उनकी तरह हमने भी मां की कोख से जन्म लिया है। जेल में पुलिस नहीं लाती बल्कि व्यक्ति के अपने पाप कर्म लाते हैं। उपाध्यायश्री ने कहा कि जेल में प्रवचन देना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है अब तक 43 जेल में प्रवचन दे चुका हूं। क्योंकि जेल में रहने वालों को सद्मार्ग, साहस और षांति की जरूरत है। उपाध्यायश्री ने सभी कैदियों को मांस, मदिरा का सेवन न करने, अपनी और दूसरों की हत्या न करने का नियम दिलाया। इस अवसर पर जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार, सुनील शर्मा, यू.पी. सिंह, जी.एस. गौतम एवं महिला अधीक्षक महालक्ष्मी सिंह का स्वागत पवन बोहरा, षैलेन्द्र जैन नोहरकला, संजय बरैया, योगेन्द्र बड़जात्या, देवेन्द्र पाटनी, संजय जैनवाल, धर्मचंद पाटनी, राजेन्द्र बड़जात्या, अनोपदेवी बड़जात्या, अंजली पाटनी, सपना अजमेरा, इंद्रा बोहरा आदि ने किया।

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