महिला सशक्तिकरण योजना के क्रियान्वयन में कोताही बर्दाश्त नहीं
समय पर कार्य न करने वाले परियोजना अधिकारियों को नोटिस दें
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने की योजनाओं की समीक्षा
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा है कि महिला सशक्तिकरण की योजनाओं के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जो परियोजना अधिकारी समय पर क्रियान्वयन की जानकारी न दें, उन्हें पहले नोटिस और बाद में उनकी वार्षिक वेतनवृद्धि रोकी जाये। श्रीमती चिटनिस महिला सशक्तिकरण योजनाओं की समीक्षा कर रही थीं।
महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिये कई योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंद को मिले, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की योजनाओं से जो भी संस्थाएँ जुड़ी हैं, उनके साथ समन्वय कर क्रियान्वयन किया जाये। उन्होंने एक ही स्वभाव की योजनाओं को एकजाई करने को कहा। महिला-बाल विकास मंत्री ने कहा कि प्रत्येक स्व-सहायता समूह को स्थाई आजीविका संसाधानों से जोड़ा जाये। इसके लिए राष्ट्रीय ग्रामीण और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, माटी कला बोर्ड, ग्रामोद्योग, कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन विभाग से समन्वय कर योजना बनाई जाए। इससे महिलाओं को अधिकाधिक लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने रोजगार सृजन करने वाले विभागों से सतत् सम्पर्क किए जाने के निर्देश दिए।
श्रीमती चिटनिस ने किशोर बाल संरक्षण गृह में रहने वाले बच्चों में 13 वर्ष तक की आयु के बच्चों को एक साथ और उनसे बड़े बच्चों को अलग रखने को कहा। श्रीमती चिटनिस ने स्वंयसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित संरक्षण गृहों में किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो, यह सुनिश्चत किये जाने के निर्देश दिए। जो संस्थाएँ बेहतर कार्य कर रही हैं उनकी हर संभव मदद की जाये। श्रीमती चिटनिस ने किशोरी बालिकाओं में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के लिये सभी स्कूल, विशेषकर कन्या स्कूलों में उदिता कॉर्नर स्थापित करने को कहा। उन्होंने वन-स्टॉप-सेंटर 'सखी'' के बारे में महिलाओं को जागरूक बनाने के लिये अभियान चलाने के निर्देश दिये।
महिला-बाल विकास मंत्री ने अनैतिक कार्य में संलग्न महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें समाज की मुख्य-धारा से जोड़ने की योजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं और उनके बच्चों में नैतिक बल पैदा करने के लिये विशेष पर्व पर उन्हें नैतिकता से जुड़ी ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें और ऐसी महिलाओं की जानकारी उपलब्ध करवायी जाये, जिन्होंने अपने आत्म-बल से विशेष उपलब्धि हासिल की है।