प्रभु मोबाइल मैसेज नहींए हृदय के भाव समझते हैं
गणिवर्य मुनिश्री रत्नकीर्ति विजयजी ने पर्यूषण के तीसरे दिन दिलाया गुस्सा नहीं करने का संकल्प
उज्जैन। पर्यूषण आत्मशुध्दि का पर्व है। मन के विकारों को दूर करें। जीवन में उदारताए सहिष्णुताए करूणाए मैत्रीए क्षमा भाव लाए। प्रभु मोबाइलए वाट्सएप् की नहीं आपके हृदय के भाव समझते हैं। संवत्सरी प्रतिक्रमण के पूर्व हृदय को निर्मल करें।
यह बात श्री ऋषभदेव छगनीराम पेढ़ी खाराकुआं पर विराजित गणिवर्य मुनिश्री रत्नकीर्ति विजयजी ने पर्युषण के तृतीय दिवस पर धर्मसभा में कही। आपने कहा वस्त्रों की तरह आत्मा को भी स्वच्छ बनाएं। आत्मा की शुध्दि करना हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिये। क्षमा को जीवन में उतारे। यदि हृदय से द्वेष नहीं निकला तो सब निष्फल है। पर्यूषण हमें प्रतिवर्ष अपने को बदलने का अवसर प्रदान करता है। हमारा दायित्व है कि हम पर्यूषण पर्व पर तो सभी जीवों को अभयदान प्रदान कर पौषध आदि धार्मिक क्रिया करें। संतश्री ने गुस्सा नहीं करने का संकल्प भी दिलाया। मीडिया प्रभारी राहुल कटारिया एवं अभय जैन भैया ने बताया गुरूवार सुबह 9 बजे से कल्पसूत्र शास्त्र का वाचन होगा। जिसमें साधु.साध्वीए श्रावक.श्राविका अर्थात समाजजनों की आचार संहिता का विस्तार से वर्णन है। बुधवार को कल्पसूत्र की पूजा करने की बोली लगाई गई। कल्पसूत्र घर ले जाकर भक्ति करने की बोली सर्वाधिक 33 हजार रूपये में लक्ष्मीदेवी अनुपकुमार विजय ज्वेलर्स परिवार ने ली। इसके साथ कल्पसूत्र की सभी पूजनों की बोली 63 हजार रूपये में विभिन्न समाजजनों ने ली।