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संत समाज में फैली कुरीतियों को मिटाकर सद्मार्ग दिखाते हैं- श्री निर्भयसागरजी महाराज



उज्जैन। जैन मुनि वर्षाकाल के चार माह एक स्थान पर रहकर योग साधना करते हैं और श्रावकों को मन, वाणी, इन्द्रियों को संयमित करना सिखाते हुए योग साधना कराते हैं। समाज में फैली कुरीतियों को मिटाते हैं और सद्मार्ग दिखाते हैं। चातुर्मास करने का दूसरा कारण यह भी है कि आवागमन करने से जीवों की हिंसा वर्षाकाल में ज्यादा होती है क्योंकि इस समय में जीवोत्तपत्ति अधिक होती है। जैन मुनि प्रातः 4 बजे उठकर योग, ध्यान और भक्ति पाठ करते है जिसे सामयिक कहते है। इसके बाद तत्वचर्चा करते है। मुनि की सारी प्रक्रिया प्राकृतिक होती है। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना लेकर चलने वाले संतों का धरती बिछोना है और आकाश चादर।
यह बात उपाध्याय श्री निर्भयसागरजी महाराज ने फ्रीगंज स्थित पंचायती दिगंबर जैन मंदिर में पत्रकारों को चर्चा के दौरान कही। उपाध्यायश्री के ससंघ का चातुर्मास कलश स्थापना 23 जुलाई को दोपहर 1.30 बजे फ्रीगंज स्थित पंचायती दिगंबर जैन मंदिर में होगी। जिसमें इंदौर, भोपाल, सागर, रतलाम, जगलपुर, बांसवाड़ा, भागलपुर, आगर, दिल्ली, एटा आदि अनेक स्थानों से सैकड़ों भक्त शामिल होंगे। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 8.30 से 10 बजे तक प्रवचन होंगे। विज्ञान के साथ अध्यात्म का विश्लेषण करने वाले मुनिश्री निर्भयसागरजी महाराज का यह 30वा चातुर्मास है और उज्जैन में पहला। हालांकि वे इससे पहले भी एक बार उज्जैन आ चुके हैं। चातुर्मास हेतु मुनिश्री भोपाल से चले थे और 8 दिन में प्रतिदिन 30 से 35 किलोमीटर यात्रा कर उज्जैन पहुचे। आपके साथ शिव दत्त सागरजी महाराज, क्षुल्लक तत्व सागर एवं चंद्र दत्त सागर जी भी यहीं विराजेंगे। चातुर्मास का आयोजक श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती जैन मंदिर माधवनगर है तथा संयोजक श्री जैन मित्र मंडल और नारी चेतना मंडल है। सकल दिगंबर जैन समाज ने चातुर्मास में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होकर धर्मलाभ लेने की अपील समाजजनों से की है।
जातिवाद बर्बाद कर रहा देश को
जैन मुनि ने कहा कि जातिवाद का अजगर और पंथवाद का जहर देश को बर्बाद कर रहा है। कट्टरपंथ से हमेशा आतंकवादी पैदा होता है।
16 साल की उम्र में हो जानी चाहिये लड़कियों की शादी
देशभर में हजारों लड़कियां हर साल गायब हो रही हैं। एक साल में 20 हजार लडकिया आत्महया कर रही है वहीं 3 से 4 लाख तलाक के मामले हो रहे हैं। इसके पीछे श्री निर्भयसागरजी महाराज ने लड़कियों की शादी देरी से होना बताया। आपके अनुसार भारतीय संविधान 18 वर्ष में लड़की की शादी की इजाजत देता है जबकि 16 साल में लड़की की शादी हो जानी चाहिये। आजकल 90 प्रतिशत बच्चे आॅपरेशन से हो रहे हैं इसके पीछे कारण भी लड़की का ज्यादा उम्र में मां बनना है। लड़की को 21 वर्ष की उम्र में मां बन जाना चाहिये। डाॅक्टरों ने भी यह बात स्वीकार की है। देरी से शादी अभिशाप साबित हो रही है। मुनिश्री ने कहा कि सरकार को नियम बनाना चाहिए की 25 साल के पहले कोई लड़की लव मैरिज नहीं कर सकती। महाराजश्री ने कहा कि हमें परिवार नियोजन नही परिवार संयोजन चाहिए। कम से कम एक परिवार में 3 बच्चे होना चाहिये चाहे लड़का हो या लड़की एक देश के लिए, एक धर्म और एक परिवार की रक्षा के लिए।

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