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गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य और आर्थिक-सामाजिक पुनर्वास की योजना बनाकर दो साल में क्रियान्वयन होगा



इलाज की नई नीति बनेगी
गैस राहत एवं पुनर्वास (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री सारंग की अधिकारियों से चर्चा
गैस राहत एवं पुनर्वास तथा सहकारिता (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा है कि प्रत्येक गैस पीड़ित के स्वास्थ्य और आर्थिक-सामाजिक पुनर्वास की समग्र योजना बनाई जायेगी। इसके लिये आई.सी.एम.आर. ( इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की अध्ययन रिपोर्ट के निष्कर्षों को आधार बनाया जायेगा। अगले 2 साल में इसका क्रियान्वयन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि गैस से प्रभावित मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने के लिये नई ट्रीटमेंट पॉलिसी बनायी जायेगी। श्री सारंग आज गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे। बैठक में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा गैस राहत पुनर्वास श्रीमती गौरी सिंह, संचालक गैस राहत पुनर्वास श्री कृष्णगोपाल तिवारी तथा उप सचिव श्री के.के. दुबे उपस्थित थे।

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सारंग ने कहा कि ऐसे गैस पीड़ित, जिन्हें आर्थिक पुनर्वास की आवश्यकता है, के लिये एक सुनियोजित योजना बनायी जायेगी। इसमें उन्हें स्व-रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं की मार्केटिंग की भी व्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि स्व-रोजगार उपलब्ध करवाने में सहकारिता का जरिया भी अपनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि इसी के साथ स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिये एक नई ट्रीटमेंट पॉलिसी तैयार की जा रही है। पॉलिसी में ऐसी बीमारियों का इलाज भी शामिल होगा, जो महँगे हैं और गैस पीड़ित इनका इलाज करवाने में असमर्थ हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले कुछ दिनों में गैस राहत पुनर्वास विभाग का एक रोड मेप तैयार कर कार्य किया जायेगा।

राज्य मंत्री श्री सारंग ने गैस पीड़ितों की संख्या को अपडेट करने को भी कहा। इसके आधार पर समग्र रणनीति बनाने की आवश्यकता बतायी। उन्होंने जिन गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य-कार्ड नहीं बने हैं, उनके कार्ड अभियान चलाकर बनाने को कहा। बैठक में श्री सारंग ने गैस राहत अस्पतालों में रिक्त पदों की समीक्षा की और उन पर शीघ्र ही भर्ती करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विभाग में काम करने का केलेण्डर बनाया जाये और नवाचार की दिशा में भी काम किया जाये। उन्होंने गैस राहत अस्पतालों में प्रबंधन के लिये नई व्यवस्था अपनाने को कहा, ताकि चिकित्सकों पर उसका दबाव न पड़े।

 

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