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सर्व धर्म समभाव का महाकुंभ


धर्म और आध्यात्मक के इस महाकुंभ का परवान जहां जोर-शोरो पर हैं ,श्रद्धालु लाखो की तादात में इस धर्म के समुद्र में डुबकी लगाने आ रहे हैं जिसके कारण उज्जैन नगरी पुरे विश्व में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है पुराणों में वर्णित हैं के उज्जैन को पूर्व काल में उज्जयनी और अवंतिका के नाम से जाना जाता था ,

साथ ही कहा गया हैं की उज्जैन इस धरती पर स्वर्ग के सामान हैं एवं यहाँ के निवासी देवता तुल्य है। अब यह बात इस आधुनिक युग में कहा तक सार्थक होती दिखाई देती हैं यह तो आपको उज्जैन सिंहस्थ आकर ही ज्ञात हो पाएगा।

                          इस घोर कलयुग में जहां किसी न किसी बात पर आए दिन धर्म-कर्म,जाती ,रंग-रूप, भेद-भाव इत्यादि विषयों पर मारपीट एवं विवाद की स्थितियां  निर्मित होती ही रहती हैं वही इन सभी के विपरीत उज्जैन सिंहस्थ संपूर्ण दुनिया को एक उत्कृष्ट सन्देश दे रहा हैं एवं इस नगरी की महत्वता को सार्थक कर रहा हैं।

      २०१६ में विश्व के अलग-अलग देशो एवं क्षेत्रों से आने वाले संत,महात्मा ,सन्यासी,साधु,योगी,पंडित,मुनिवर,ऋषि ,गुरु,अघोरी व् मुख्य रूप से श्रद्धालु मेले में सर्व धर्म समभाव के भाव को देख, अभिभूत हो रहे हैं। 

                                   वर्ष के इस सबसे बड़े पर्व में सर्व धर्म सम्भाव का वातावरण चारो और अमन शांति का पैगाम फैला रहा हैं इस महाकुंभ में सभी धर्म के लोग बड़े प्रेम भाव के साथ इस महा आयोजन को सफल बनाने में लगे हुए हैं।

    हिन्दू धर्म के इस महापर्व पर मुस्लिम , ईसाई ,सिक्ख एवं जैन सभी समाज के लोग जहां बढ़-चड़ कर हिस्सा ले रहे हैं, वही पूर्ण रूप से अर्थात  तन-मन-धन से सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं।

       सर्व धर्म समभाव के इस अनूठे संगम ने सिंहस्थ २०१६ को और ज्यादा रोशन और सुगन्धित कर दिया हैं जिसका परिणाम यह हैं की सिंहस्थ होकर लौटने वाले  श्रद्धालु उज्जैन को अपनी रूह में बसा कर लौट रहें हैं।

उज्जैन दस्तक न्यूज़ से अनुराग दुबे की रिपोर्टे

 

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