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अब्दुल कादिर ने कृत्रिम हाथों से काटा जन्म-दिन का केक


परिवार ने मध्यप्रदेश सरकार का माना आभार
रतलाम निवासी श्री हुसैन इंदौरी और श्रीमती फातिमा इंदौरी के आठ साल के बेटे अब्दुल कादिर आज से दस माह पहले राजधानी आए थे एक उम्मीद  लेकर, जो पूरी हो गई। उम्मीद थी कि  उनके बेटे को कृत्रिम हाथ लगवाने के  लिए सहायता मिलेगी, जो मिल  गई। बीती 17  नवम्बर को अब्दुल ने अपने हाथ से आठवीं जन्म वर्षगाँठ पर केक  भी काटा।

मई 2014 में बैरसिया रोड, भोपाल की मुल्ला कॉलोनी में एक रिश्तेदार के यहाँ गर्मी की छुट्टियाँ  बिताने आए अब्दुल कादिर ने   हाइटेंशन लाइन पर स्पर्श हो जाने  से अपने दोनों हाथ गँवा दिए थे।  मुंबई में दो-तीन माह इलाज हुआ। चिकित्सकों  को  बालक की जिंदगी की हिफाजत के लिए हाथों को शरीर से अलग करने का फैसला लेना पड़ा। तब से परिवार को बालक अब्दुल कादिर की सामान्य जिंदगी और पढ़ाई-लिखाई की चिंता और बढ़ गई थी। कृत्रिम हाथ लगवाने का व्यय बहुत ज्यादा था।

 मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा से  गुरुवार की साप्ताहिक भेंट के दौरान 15  जनवरी, 2015  को  मिलने आए कादिर के माता-पिता ने बालक की तकलीफों का ब्यौरा देते हुए कृत्रिम हाथ लगवाने की व्यवस्था की जाने का आग्रह किया था । मुख्यमंत्री श्री चौहान की जानकारी में भी  यह मामला आया और प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग को तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री की पहल पर मंत्रिमंडल ने इलाज के लिए 13 लाख रुपये स्वीकृत किये। अब्दुल कादिर को नई दिल्ली के अस्पताल में कृत्रिम हाथ लगवाने भेजा गया। अगस्त माह में करीब 13 लाख की लागत से लगावाए गए  एक विशेष  जैकेट  की सहायता के बाद अब अब्दुल क़ादिर जरूरी काम कर लेता है। उसका तैराकी का शौक भी पूरा हो रहा है। हालाँकि तैरते समय कृत्रिम जैकेट उसे  अलग  करना होता है। अब्दुल के माता-पिता प्रदेश सरकार का आभार मानते हुए बेटे की जिंदगी में आई  मुस्कान से खुद और भी ज्यादा खुश हैं।
अशोक मनवानी


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