हमारी जन श्रुतियाँ, लोकोक्तियाँ, कथाएँ इतिहास की मार्गदर्शिका : आचार्य प्रद्युम्न
उज्जैन- समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. ईश्वरशरण विश्वकर्मा थे। डॉ. विश्वकर्मा ने सम्राट विक्रमादित्य संबंधी कथानक और भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे विषयों पर सारगर्भित चर्चा करते हुए कहा कि इस तीन दिवसीय इतिहास समागम में महत्वपूर्ण मंथन हुआ है। अंतराष्ट्रीय इतिहास लेखन पर पढ़े गए पत्रों के माध्यम से क्षेत्रीय इतिहास का पुनर्लेखन एक महत्वपूर्ण विषय है। मालवा के इतिहास पर नए-नए तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत करेगा। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अर्पण भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास केवल प्राचीन घटनाओं को नहीं बताता। बल्कि वर्तमान पीढ़ी को भी नई सीख प्रदान करता है। उन्होंने शोधार्थियों का आह्वान किया कि वह इतिहास के पुनर्लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ। इस अवसर पर कार्य परिषद के वरिष्ठ सदस्य राजेश सिंह कुशवाहा ने शोधार्थियों को आह्वान किया की गंभीरता के साथ नवीन चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए इतिहास का पुनर्लेखन करें। कार्यक्रम में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव अनिल शर्मा, कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र शर्मा, डॉ. मोहनलाल चराड, डॉ. किरण शर्मा आदि ने भी अपने विचार एवं शोध पत्रों का वाचन किया। संचालन डॉ. मुकेश शाह ने किया। आभार डॉ. रमण सोलंकी ने व्यक्त किया।