महाकालेश्वर के आंगन में 13 को संध्या आरती के बाद होलिका दहन
श्री महाकालेश्वर मंदिर में 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। 14 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। परंपरानुसार ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर की तीन आरतियों के समय में बदलाव किया जाएगा। इसी तरह उन्हें ठंडा जल अर्पित किया जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा से ठंड का मौसम की शुुरुआत होने से उन्हें भस्मआरती में गर्म जल अर्पित किया जा रहा है। अब फिर से गर्मी बढ़ने से फाल्गुन पूर्णिमा पर उन्हें ठंडा जल अर्पित करेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि 15 मार्च से ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर भगवान की आरतियों के समय में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक परिवर्तन होगा। 13 मार्च की संध्या आरती में महाकालेश्वर को हर्बल-गुलाल अर्पित करने के साथ शकर की माला चढ़ाई जाएगी।
आरती के बाद महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होलिका का विधिवत पूजन-अर्चन किया जाकर होलिका दहन किया जाएगा। 14 मार्च धुलेंडी के दिन सुबह 4 बजे भस्मआरती में श्री महाकालेश्वर को मंदिर से पुजारी-पुरोहित हर्बल-गुलाल अर्पित करेंगे। मंदिर में होली और रंगपंचमी पर्व के अवसर पर टेसू (पलाश) के फूलों से बनाए हर्बल रंग का उपयोग किया जाएगा और मंदिर परिसर में बाहर से रंग लाना प्रतिबंधित रहेगा। महाकालेश्वर में होलिका महोत्सव में गर्भगृह, नंदी, गणेश, कार्तिकेय मंडपम् के साथ पूरे मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल ले जाना, रंग-गुलाल उड़ाया जाना, आपस में रंग-गुलाल लगाना, किसी विशेष उपकरण का उपयोग कर रंग उड़ाना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। होलिका पर्व 13 व 14 मार्च के उपलक्ष्य में महाकालेश्वर की होने वाली त्रिकाल आरती में सीमित मात्रा में प्रतीकात्मक रूप से हर्बल-गुलाल अर्पण किया जाएगा। 19 मार्च रंगपंचमी पर भस्मआरती में 1 लोटा केसर युक्त जल और संध्या आरती में केसर का रंग प्रतीकात्मक रूप से महाकालेश्वर को अर्पण किया जाएगा। 13-14 एवं 19 मार्च 2025 को हर्बल गुलाल, केसर युक्त जल एवं केसर का रंग मंदिर प्रबंध समिति की कोठार शाखा से भस्मआरती पुजारी और शासकीय पुजारी को उपलब्ध कराया जाएगा।