शिक्षा की परंपरा से प्रदेश व उज्जैन का बहुत पुराना नाता है
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि बाबा श्री महाकाल की नगरी उज्जैन, जो सदा से ही धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बिन्दु है, आज श्रीमद्भगवद्गीता के पाठ से और अधिक भव्य, दिव्य और ऊर्जामयी लग रही है। अर्जुन को माध्यम बनाकर मुक्ति के तीनों मार्गों - भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की गूढ़ता को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए मोक्षदा एकादशी के दिन ही कुरूक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने अपना विराट स्वरूप प्रकट किया था और श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में ज्ञान का संदेश दिया। वेदों का सार उपनिषदों में है और उपनिषदों का निचोड़ श्रीमदभगवद्गीता में है। इस लिहाज से विश्व की प्राचीनतम और समृद्धतम आध्यात्मिक ज्ञानकोष का क्रैशकोर्स है श्रीमदभगवद्गीता। आजकल धर्म का अर्थ केवल पूजा-पद्धति से जोड़ा जाता है, लेकिन सनातन संस्कृति में धर्म का वास्तविक अर्थ था आदर्श आचरण संहिता। श्रीमद्भगवद्गीता जीवन जीने के उसी आदर्श आचरण का प्रकटीकरण है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को उज्जैन में अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा भगवान श्रीकृष्ण का मध्यप्रदेश व उज्जैन से गहरा नाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के बाद महाराजा उग्रसेन को पुन: राजा बनाया और स्वयं उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में आकर 64 कलाओं की शिक्षा प्राप्त की। यह मनुष्य के जीवन में शिक्षा के महत्व को दर्शाती है और शिक्षा की सनातन परंपरा से मध्यप्रदेश व उज्जैन का गहरा नाता जोड़ती है। महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी नारायणी सेना कौरवों को दी और स्वयं पाण्डवों के पक्ष में रहे। भगवान श्रीकृष्ण की नारायणी सेना इतनी अनुशासित थी कि उसके सैनिकों ने युद्ध भूमि से पलायन नहीं किया और अंत तक युद्ध में डटे रहे।
भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकली श्रीमद्भगवद् गीता से कर्मयोग की शिक्षा प्राप्त होती है। भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में लोग गीता की शिक्षा का अनुसरण कर रहे हैं। श्रीमद्भगवद् गीता प्राणियों के जीवन में शांति, सहनशीलता, न्यायोचित, आदर्श जीवन मूल्य, मर्यादा का संदेश देती है। इसी कारण सनातन संस्कृति हजारों वर्ष के बाद भी अपने सम्पूर्ण गौरव के साथ विद्यमान है।
गीता के संदेश से मानव मात्र के कल्याण के लिए अपने जीवन का क्षण-क्षण समर्पित कर देने की प्रेरणा मिलती है। चाहे आप छात्र हों, गृहिणी हों, व्यवसायी हों, नौकरीपेशा हों, या अधिकारी हों, चाहे आप हिन्दू हों, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई या मुस्लिम हों, श्रीमद्भगवद्गीता आपको अपने-अपने क्षेत्र में, अपने-अपने पंथ में रहते हुए बेहतर प्रोफेशनल, बेहतर पिता, बेहतर पुत्र, बेहतर नागरिक और बेहतर नेतृत्वकर्ता बनने का मार्गदर्शन करेगी। इसलिए जीवन में लक्ष्य पाने के लिए हम सभी को श्रीमदभगवद् गीता का दिव्य पाठ करना चाहिए। गीता का ज्ञान सभी के लिए है, गीता साक्षात देववाणी है, गीता दिव्यवाणी है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज भोपाल में भगवत भक्तों ने गीता पाठ कर एक अनूठा विश्व रिकार्ड बनाया है। हम मध्यप्रदेश में गीता जी को पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित कर रहे हैं। श्रीमदभगवद गीता पर आधारित स्कूली छात्रों की प्रतियोगिता में 45 लाख से अधिक बच्चों ने भाग लिया व पुरस्कार जीतें।