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पुरुषार्थ और परमार्थ का संगम है जर्मनी, इससे जुड़कर उद्योग के नये मार्ग होंगे प्रशस्त - मुख्यमंत्री डॉ. यादव निवेशकों को मध्यप्रदेश में उपलब्ध करायेंगे हर सुविधा, जीआईएस 2025 के लिए किया जर्मनी के निवेशकों को आमंत्रित


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारत और जर्मनी के आपसी संबंध हमेशा से बेहतर रहे हैं। पुरुषार्थ और परमार्थ से परिपूर्ण जर्मनी ने भारत के साथ हमेशा उद्योग मैत्री का रवैया रखा है। उन्होंने जर्मनी के निवेशकों को उन्नत तकनीकी के साथ मध्यप्रदेश में आमंत्रित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए आये निवेशकों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। हमनें निवेशकों के हित में जटिलताओं को समाप्त/सरलीकृत कर प्रक्रियात्मक कठिनाइयों को दूर करने का काम किया है। निवेशकों को प्रदेश में उद्योग लगाने पर बिजली और पानी की कमी नहीं आने दी जायेगी। निवेशक हमारे लिये मेहमान नहीं, हमारे परिवार का एक अंग हैं। हम उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होने देंगे। प्रदेश में ग्रीन एनर्जी के लिये भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं। ये बातें मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने म्यूनिख (जर्मनी) में अपनी 3 दिवसीय यात्रा के प्रथम दिन इन्टरैक्टिव सेशन को संबोधित करते हुए कहीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भोपाल में फरवरी माह में हो रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 में आने के लिए जर्मनी के उद्योगपतियों को आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और जर्मनी के अतीतकाल से बहुत गहरे संबंध है। विशेष रूप से उद्योग और व्यवसाय जगत में भी हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं। हमने इन संबंधों को निभाया भी है। यूरोप के सभी देशों से तुलना की जाए तो जर्मनी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है। मेरी यात्रा इन संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यहां मैं एक स्पष्ट उद्देश्य से आया हूँ। हम जर्मनी के साथ एक नई तरह की साझेदारी चाहते हैं, ये साझेदारी केवल व्यापार तक ही सीमित न हो। हम चाहते हैं कि जर्मनी की कम्पनियां अपनी उन्नत तकनीक के साथ मध्यप्रदेश में निवेश करें। मध्यप्रदेश में उपलब्ध प्राकृतिक और मानव संसाधनों के साथ जर्मनी की तकनीक का संगम हो। मध्यप्रदेश एक सम्पूर्ण इन्वेस्टमेंट डेस्टीनेशन है। मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिए स्वर्णिम अवसर भी उपल्बध हैं। जब मध्यप्रदेश की क्षमताओं की बात की जाती है, तो आंकड़े स्वयं बोलते हैं। मध्यप्रदेश आज भारत की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारी अर्थव्यवस्था पिछले एक दशक में तीन गुना बढ़ी है। हमारी विकास दर दोहरे अंक में है। लेकिन यह तो शुरूआत है। हम एक पॉवर सरप्लस स्टेट हैं। सिर्फ यही नहीं, प्रदेश में बिजली देने के लिए वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ग्रीन एनर्जी की दिशा में मध्यप्रदेश काफी आगे बढ़ा है। इसके साथ ही पर्याप्त जल और भूमि की उपलब्धता भी मध्यप्रदेश की विशेषता है, हमारी यूएसपी है।
मध्यप्रदेश देश में एआई हब के रूप में उभर रहा है
अपर मुख्य सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी संजय दुबे ने कहा कि भारत में डिजिटल और टेक इनोवेशन का विकास हुआ है। भारत में प्रतिदिन 550 मिलियन डिजिटल ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए जाते हैं। भारत के 5.5 मिलियन टेक एमप्लाइज में से लगभग डेढ़ लाख मध्यप्रदेश से हैं, जो भारत की तकनीकी प्रगति को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। राज्य आईटी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। मध्यप्रदेश भारत में प्रमुख एआई हब के रूप में उभर रहा है। भारत के टियर टू शहर आईटी के क्षेत्र में प्रमुख केन्द्र बनकर उभर रहे हैं, जिनमें से भोपाल एवं इंदौर मध्यप्रदेश में स्थित हैं। राज्य सरकार की नीतियाँ जैसे आईटी, आईटीएस, ईएसडीएम पॉलिसी, स्टार्ट-अप पॉलिसी इस विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। राज्य में एवीजीसी नीति लागू की जा रही है एवं जीसीसी पॉलिसी लागू करने की तैयारी की जा रही है। मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिये आकर्षक वित्तीय एवं गैर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किये जाते हैं।
मध्यप्रदेश से जर्मनी को 162 मिलियन डॉलर का निर्यात
प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश संवर्धन राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के साथ ही आधारभूत सुविधाओं के मामले लगातार प्रगति कर रहा है। यहाँ बिजली, पानी, सड़क, कुशल मेन पॉवर की पर्याप्त उपलब्धता है और 88 मिलियन उपभोक्ता हैं। साथ ही 5.1 लाख किलोमीटर सड़क नेटवर्क है। म.प्र. में 31 गीगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता, 77.5 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। म.प्र., भारत का गेहूँ का सबसे बड़ा निर्यातक प्रदेश है। यह हीरा, ताँबा, मैग्नीज का प्रमुख उत्पादक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मध्यप्रदेश से जर्मनी को 162 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें टेक्सटाइल, कृषि, ऑटोमोबाइल, जैविक, यौगिक एवं प्लास्टिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। राज्य में 300 से अधिक बड़े एवं एमएसएमई औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहाँ पर 43 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या हैं। वर्तमान में 1700 से अधिक जर्मन कम्पनियाँ भारत में कार्यरत हैं। जबकि 200 से अधिक भारतीय कम्पनियाँ जर्मनी में कार्यरत हैं। दोनों देशों के बीच 26.06 बिलियन डॉलर का व्यापार होना भारत और जर्मनी के मजबूत आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को प्रमाणित करता है।

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