असम से आए उषा रानी और डॉ. जादब बोरा ने उज्जैन में दो जगह दी नृत्य प्रस्तुति
उज्जैन- स्पीक मैके एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित असम के शास्त्रीय सत्रीया नृत्य पर कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को दोपहर 3:45 बजे शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम ढेढिया एवं शाम 5:30 बजे कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास दशहरा मैदान में हुआ जहां असम से आए उषा रानी एवं डॉ. जादब बोरा ने नृत्य प्रस्तुति से समा बांध दिया। कलाकारों ने प्रस्तुति की शुरुआत महापुरुष माधवदेव के चाली नृत्य से की। उन्होंने छात्रों को सत्त्रिया नृत्य के विभिन्न पहलू भी सिखाए। साथ ही छात्रों को मतिया खारा से परिचित कराया जो सत्रीय नृत्य शैली का मूल आधार है। 64 मतिया खारा में से छात्रों ने पुरुष ओरा, प्रकृति ओरा, गेरुवा सुवा, पोसोला तुला, पानी ओरत बोहा उथा, ओरत जाप, अथु लोन और थियो लोन आदि सीखा। तत्पश्चात महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के एक शरण हरि नाम धर्म के बारे में भी संक्षेप में बताया। छात्रों को सत्रीया में पुरुष और प्रकृति शैली के नृत्यों की प्रस्तुति में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न स्थितियों, पैरों के काम, चाल, पहनी जाने वाली पोशाक और आभूषणों के बारे में भी बताया। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति का समाहार अभिनय आधारित राम कथा प्रस्तुत कर किया। स्पीक मैके के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने बताया 26 नवंबर को सुश्री उषा रानी वैशय एवं जादब बोरा प्रातः 9 बजे शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम बांसखेड़ी एवं 11 बजे शासकीय माध्यमिक विद्यालय ग्राम दुदरसी में अपनी प्रस्तुति देंगे। साथ ही एसआरएफ विरासत वार्षिक श्रृंखला 2024 के अंतर्गत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के क्रम में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कृत गुरु कोट्टक्कल नंदकुमार नायर और समूह दोपहर 3 बजे अवंतिका यूनिवर्सिटी ग्राम लेकोड़ा में दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध कथकली नृत्य की प्रस्तुति देंगे।