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साहित्य केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि समाज में क्रांति लाने की मशाल है-लक्ष्मी शंकर वाजपेयी अखिल भारतीय सद्भावना व्याख्यानमाला के पांचवें दिवस पर हुए प्रेरक व्याख्यान


उज्जैन- साहित्य केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि समाज में क्रांति लाने की मशाल है। अच्छा साहित्य हमारे समाज की सोच और संस्कारों को भी आकार देता है। आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया ने साहित्य को नए आयाम दिए हैं, लेकिन इसके साथ ही इसके स्तर में गिरावट की चिंताएं भी उभर रही हैं। साहित्य, जो कभी नैतिक मूल्यों और समाज सुधार का माध्यम था, अब कई बार सोशल मीडिया पर अपने उद्देश्य से भटकता नजर आता है। साहित्य के नाम पर बढ़ती बुराइयों ने आपसी तनाव और नैतिक पतन को जन्म दिया है। वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या और पारिवारिक बिखराव इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।  इसका कारण है कि हम अपने मूल साहित्य और लोक साहित्य से कट गए हैं, जो कभी हमें प्रेरणा और दिशा देते थे। वेदों के संस्कार और मूल्यों को  लोक साहित्य ने आगे बढ़ाया है। हमें चाहिए कि हम लोक साहित्य से जोड़ते हुए  नैतिक मूल्यों को  युवाओं तक पहुंचाएं। । आज हजारों  चैनल्स और कवि सम्मेलनों की बाढ़ के बीच भी स्तरीय साहित्य की खोज की जा रही है। उक्त विचार पूर्व उप महानिदेशक आकाशवाणी एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार माननीय श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, ने भारतीय ज्ञानपीठ ( माधव नगर ) में कर्मयोगी स्व. कृष्ण मंगल सिंह कुलश्रेष्ठ की प्रेरणा एवं पद्मभूषण डॉ. शिवमंगल 'सुमन' की स्मृति में आयोजित 22 वीं अ.भा.सद्भावना व्याख्यानमाला के पंचम दिवस पर प्रमुख वक्ता के रूप में व्यक्त किए । " साहित्य के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की राह " विषय पर व्यक्त अपने विचारों में माननीय श्री  वाजपेयी  जी, ने कहा कि  इतिहास में ऐसे कई उदाहरण है जब हमने देखा कि साहित्य ने डाकुओं के हृदय को परिवर्तन कर उन्हें सुधारा, नारियों को सशक्त बनाया और भेदभाव वाले कानूनों में बदलाव के लिए आधार तैयार किया। साहित्य मनुष्य को मनुष्य बनाने की गारंटी देता है। यह समाज, देश और सभ्यताओं को बेहतर बनाने का सशक्त माध्यम है। रामचरितमानस जैसे ग्रंथों का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव रहा है, और इसने न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मतभेदों को भी समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, कवियों और साहित्यकारों ने अपने  रचनात्मक कार्यों के माध्यम से भारतीय जनमानस को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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