सांस अभियान 28 फरवरी तक चलाया जाएगा
उज्जैन- बाल मृत्यु में कमी लाना सरकार का प्रमुख लक्ष्य है। पांच वर्ष तक के बच्चों में सबसे अधिक मृत्यु का कारण निमोनिया संक्रमण है। देश में बाल्य काल में 17.5 प्रतिशत मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। एसआरएस 2020 रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की अंडर-5 मोर्टेलिटी 51 प्रति हजार जीवित जन्म है एवं प्रदेश में लगभग 17 हजार से अधिक बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार के निर्देशानुसार प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ उज्जैन जिले में भी 12 नवंबर से सांस अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान 28 फरवरी 2025 तक चलाया जाएगा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक कुमार पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2024-25 में दस्तक अभियान में निमोनिया का 0.54 प्रतिशत था। प्रदेश का लक्ष्य निमोनिया से होने वाली मृत्यु को 3 प्रति हजार जीवित जन्म से लेकर आना है। निमोनिया के प्रारंभिक लक्षणों की समय पर पहचान, प्रारंभिक उपचार एवं उचित स्वास्थ्य संस्था में रेफर तथा निमोनिया के संबंध में जन जागरूकता लाई जाकर निमोनिया से होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है। निमोनिया के प्रकरण मुख्यतः सर्दी, अधिक प्रदुषण/धुएं वाले क्षेत्र एवं स्लम ऐरिया में अधिक होने की संभावना रहती है। ऐसे बच्चों में निमोनिया होने की संभावना अधिक होती है जिनका टीकाकरण अपूर्ण हो अथवा कुपोषित हो। उक्त अभियान का लक्ष्य 2025 तक 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया से होने वाली मृत्यु को 5.1 प्रति हजार जीवित जन्म से 3 प्रति हजार जीवित जन्म लाना है। अभियान का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय बाल निमोनिया प्रबंधन दिशा निर्देशों का पालन, समुदाय में निमोनिया की रोकथाम, बचाव एवं उपचार के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में समुदाय एवं संस्था स्तर पर समावित निमोनिया के प्रकरणों की सही समय पर पहचान, उपचार एवं आवश्यकता पड़ने पर उचित संस्था में रेफरल, गंभीर निमोनिया प्रकरणों के उपचार हेतु स्वास्थ्य संस्थाओं को सुदृढ़ करना, समुदाय में निमोनिया के प्रति कुरीतियों एवं अंध विश्वास में कमी लाए जाने, सामाजिक जागरूकता तथा व्यवहार परिवर्तन के संबंध में जानकारी प्रदाय करना है।