विश्व सहिष्णुता दिवस पर चर्चा परिचर्चा आयोजित
उज्जैन- राज्य आनंद संस्थान भोपाल के निर्देश पर टीम आनंदक उज्जैन द्वारा शनिवार 16 नवम्बर को सहिष्णुता दिवस पर चर्चा परिचर्चा का आयोजन किया गया। शुभारम्भ में सभी उपस्थित आनंदकों द्वारा परिचय दिया गया। आयोजन के सूत्रधार आनंद विभाग के जिला समन्वयक डॉ. प्रवीण जोशी थे, उन्होंने कहा कि, सहिष्णुता हमारी अपनी प्रकृति है, हमारी अपनी ताकत है। इसी के कारण इतने विदेशी आक्रमण होने के बावजूद हम अपनी सनातन परम्परा को आज भी जीवित रख पाये है। साथ ही उन्होंने विश्व सहिष्णुता दिवस के बारे में विस्तार से बताकर वहां उपस्थित सभी को प्रेरित किया और चर्चा-परिचर्चा को आगे बढ़ाया। आनंदम सहयोगी और जिले की मास्टर ट्रेनर सुश्री रंजना मालवीय ने कहा कि, सहिष्णुता के साथ साथ प्रेम और सकारात्मकता के सामने वाले दुष्ट से दुष्ट व्यक्ति को परिवर्तित किया जा सकता है। आनंदम सहयोगी श्री राजेश शर्मा जी ने कहा कि, असहिष्णुता इतनी बढ़ गई है कि भारत में ही इसकी जरूरत समझी जा रही है, सहिष्णुता की शुरुआत हमें अपने परिवार से ही करना होगी। श्री अनोखी लाल शर्मा ने कहा कि, सहिष्णुता एक भाव है, माफ करना सहिष्णुता का पहला कदम है। डॉ. स्वामीनाथ पांडेय ने कहा कि, भारतीय परंपरा हमें सिखाती है कि सामने वाले का जैसा भाव है हमें भी वैसा ही रखना है। डॉ. सुमन जैन ने कहा कि, सहिष्णुता सहनशीलता है, गांधी जी की 125 जन्म जयंती पर इसे विश्व स्तर पर मनाया जाना शुरू किया गया। सहिष्णुता के साथ जीवन यात्रा आनंदमय यात्रा है। श्री अंकित शर्मा ने कहा कि, सहिष्णुता का सबसे बड़ा उदाहरण भगवान श्री राम है। रामचरितमानस में अनेक प्रसंग सहिष्णुता के आए है।श्रीमती मोनिका मनवटकर ने कहा कि, जब हम सामने वाले की बात को समझना शुरू कर देते हैं तो सहिष्णुता का भाव आ जाता है। इसमें सबसे पहले माफ कर देना और माफी मांग लेना है, यह सहिष्णुता की शुरुआत है। श्री अनिल शुक्ला ने कहा कि, सहिष्णुता के नाम पर हमेशा गलत को सहन नहीं करना चाहिए, गलत का विरोध भी जरूरी है। श्री जितेंद्र मालवीय ने कहा कि, सहिष्णुता का भाव बस यही ठीक है इसी स्वीकार भाव में है। श्री भगवान सिंह ने कहा कि, सहिष्णुता की बात में अपनों की बात सुन लेना है। श्री अनिल निकम ने कहा कि, सहिष्णुता हमारे अंदर की सर्वोच्च शक्ति है। श्रीमती स्वाति पंचोली ने कहा कि, सहनशीलता का व्यवहार लचीला होना चाहिए, किसी भी विवाद में अपना पक्ष शालीनता से रख विवाद को समाप्त किया जा सकता है। वल्लभ आनंद क्लब की संस्थापक श्रीमती मधु गुप्ता ने कहा कि, सर्वधर्म समभाव सहिष्णुता का मूलमंत्र है। श्रीमती रश्मि श्रीवास्तव ने कहा कि, सहिष्णुता की प्रकृति विरोधियों को भी सम्मान देने की शक्ति है। कार्ड संस्था से श्रीमती अमृता चतुर्वेदी ने कहा कि, सभी की बातों को सम्मान पूर्वक सुनना है, उसके बाद भी अगर बातों का विरोध है तो मौन रहना सहिष्णुता है। चर्चा परिचर्चा में अन्य गणमान्य नागरिक व विद्यार्थी भी उपस्थित थे। उनके द्वारा भी सहिष्णुता का महत्व उदाहरणों के माध्यम से बताया गया। आयोजन का आभार आनंदम सहयोगी श्री अंकित शर्मा द्वारा माना गया।