विशेष रिपोर्ट.. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के दावेदारों में जुड़ रहे नए नाम, दौड़ में नीता, लता भी -दिनेश निगम ‘(वरिष्ठ पत्रकार) त्यागी’
विशेष रिपोर्ट.. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के दावेदारों में जुड़ रहे नए नाम, दौड़ में नीता, लता भी
- जातीय, क्षेत्रीय समीकरण देख कर बनेगा चयन फार्मूला
- हमेशा की तरह फिर चौंका सकती है मोदी-शाह की जोड़ी
* दिनेश निगम ‘त्यागी’(वरिष्ठ पत्रकार)
राजनीति के जानकारों को मालूम है कि नरेंद्र मोदी- अमित शाह की जोड़ी हमेशा की तरह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए भी चौंकाने वाला नाम सामने ला सकती है। बावजूद इसके पद के दावेदारों की कोशिशें जारी हैं और हर रोज नए नाम सामने आ रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के लिए लगभग एक दर्जन नाम पहले से चर्चा में हैं, इसमें कुछ और नए नाम जुड़े हैं। इनमें एक हैं सिवनी से सांसद और विधायक रहीं नीता पटेरिया और दूसरी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं सागर से भाजपा सांसद लता वानखेड़े। लता वर्तमान में सांसद हैं लेकिन नीता पटेरिया के पास कोई जवादारी नहीं है। इसलिए उनका नाम तेजी से आगे आया है। सूत्रों का कहना है कि जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर सकता है।
0 सामान्य वर्ग से चल रहे इनके नाम
- मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पिछड़े वर्ग से हैं और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ताेमर सामान्य वर्ग के क्षत्रिय। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सामान्य वर्ग से ब्राह्मण हैं। ऐसे में वीडी की जगह ब्राह्मण समाज से किसी को मौका मिल सकता है। इनमें नरोंत्तम मिश्रा, रामेश्वर शर्मा, राजेंद्र शुक्ला, रीति पाठक और अर्चना चिटनीस के नाम पहले से चर्चा में हैं। इनमें नीता पटेरिया का नया नाम जुड़ा है। ब्राह्मण महिला को लेकर भाजपा नेतृत्व ब्राह्मण और महिला दोनों को खुश कर सकता है। ये रीति पाठक और अर्चना चिटनीस भी हो सकती हैं। दूसरी तरफ न्यू ज्वाइनिंग टोली के अध्यक्ष पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और कट्टर हिंदू छवि के कारण रामेश्वर शर्मा का दावा कमजोर नहीं है। राजेंद्र शुक्ला को लेकर विंध्य और महाकौशल की कमी पूरी की जा सकती है, लेकिन वे उप मुख्यमंत्री हैं। इसलिए उनका दावा ज्यादा मजबूत नहीं है। क्षत्रिय समाज से अरविंद भदौरिया का नाम चर्चा में हैे।
0 आदिवासी वर्ग से सुमेर, फग्गन के नाम की चर्चा
- प्रदेश अध्यक्ष के लिए आदिवासी वर्ग से फिर उन दो नामों की ही चर्चा ज्यादा है जो हमेशा दौड़ में शामिल रहते हैं। ये हैं सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और सुमेर सिंह सोलंकी। फग्गन एक बार प्रदेश अध्यक्ष को लेकर बगावत की मुद्रा तक में आ चुके हैं। इसके बाद वे केंद्र में मंत्री रहे। इस बार उन्हें केंद्र सरकार में जगह नहीं मिली। दूसरे सुमेर सिंह सोलंकी राज्य सभा सदस्य हैं और आरएसएस के करीबी भी। सोलंकी का नाम भी पहले चल चुका है। हालांकि इस वर्ग से संपत्तिया उइके, सावित्री ठाकुर और दुर्गादास उइके के नाम भी लिए जा रहे हैं। लेकिन इनमें से दो केंद्र और एक राज्य सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में भाजपा नेतृत्व ने यदि आदिवासी वर्ग से चुनाव किया तो फग्गन और सुमेर में से किसी को मौका मिल सकता है।
0 अजा वर्ग से लाल सिंह, महेंद्र सोलंकी दावेदार
- प्रदेश अध्यक्ष के अनुसूचित जाति वर्ग से होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस वर्ग से लाल सिंह आर्य और महेंद्र सोलंकी प्रमुख दावेदार हैं। लाल सिंह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार रहे हैं। इस समय वे भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आर्य विधानसभा के दो चुनाव हार चुके हैं, लेकिन संगठन में लगातार सक्रिय हैं। महेंद्र सोलंकी देवास से सांसद हैं। उन्हें संघ कोटे का माना जाता है और मुस्लिमों के मामले में वे कट्टर हैं। वे मुस्लिम नेताआंे को मंच तक में नहीं बैठाते। दलितों को साधने पर विचार हुआ तो इनमें से किसी नाम पर मुहर लग सकती है। दलित वर्ग से पहले सागर और अब टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र कुमार भी एक दावेदार हैं लेकिन वे केंद्रीय मंत्री हैं, इसलिए उनका नाम पीछे हो सकता है।
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