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साल में एक दिन दोपहर में होगी शयन आरती, 100 सालों से गोपाल मंदिर में चली आ रही परम्परा


उज्जैन - सनातनी संस्कृति में भक्त और भगवान का रिश्ता एक दूसरे के अधीन माना गया है, यही वजह है कि भगवान के लिए भी वैसे ही नियम पाले जाते हैं, जैसे घर के किसी अन्य सदस्य के लिए। इसकी एक बानगी सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के गोपाल मंदिर में देखने को मिलती है। यहां जन्माष्टमी पर रात्रि 12 बजे आरती होने के बाद फिर शयन आरती नहीं की जाती है। चार दिनों तक ये क्रम जारी रहता है। तब तक केवल सेवा पूजा का ही दौर चलता रहता है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बछ बारस पर दोपहर 12 बजे शयन आरती होती है। यहां भी वर्ष में एक दिन ऐसा होता है, जब दोपहर में भगवान की शयन आरती की जाती है।
100 सालों से चली आ रही परम्परा
ऐसा माना जाता है कि जन्म के बाद कन्हाजी के सोने-उठने का समय निर्धारित नहीं होता है। चार दिन तक सेवा पूजा के बाद बछ बारस पर दोपहर 12 बजे मंदिर में शयन आरती होती है। इस बार बछ बारस की तिथि 30 अगस्त को पड़ रही है।
सीएम ने भी किए गोपालजी के दर्शन
आपको बता दें कि शहर के प्राचीन सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के गोपाल मंदिर में राजवंश परंपरा के अनुसार सोमवार को जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई और मध्यरात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर आरती पूजन किया गया। मध्य रात्रि को सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए।

 

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