शिव विवाहोत्सव के लिए सज रहा मंदिर, महाशिवरात्रि पर दुल्हा बनेंगे राजाधिराज महाकाल 17 से शुरू होगी शिव नवरात्र, हर दिन अलग-अलग दिव्य स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे बाबा महाकाल
उज्जैन - हर साल फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल 26 फरवरी को शिवरात्रि है। महाकाल की नगरी उज्जैन में शिवरात्रि के दौरान शिव नवरात्र मनाई जाती है, जिसकी शुरूआत 17 फरवरी से होगी। 17 से 26 फरवरी तक नौ दिनों में भगवान को दुल्हे की तरह सजाया धजाया जाएगा और रोजाना हल्दी चंदन लगाकर विवाह की सभी रस्में निभाई जाएंगी।
नौ दिनों में ये श्रृंगार, दिव्य स्वरूपों में होंगे दर्शन
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि से पहले फाल्गुन कृष्ण पंचमी से त्रयोदशी तक शिव नवरात्र उत्सव मनाया जाता है। इस बार 17 फरवरी को शिव पंचमी के पूजन के साथ शिव नवरात्र की शुरुआत होगी। सुबह करीब आठ बजे पुजारी कोटितीर्थ कुंड के समीप भगवान श्री कोटेश्वर महाकाल का अभिषेक-पूजन कर हल्दी अर्पित करेंगे। करीब डेढ़ घंटे पूजन के उपरांत सुबह 9.30 बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल का पूजन होगा। पुजारीगण भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ किया जाएगा, पश्चात दोपहर एक बजे भोग आरती होगी। तीन बजे संध्या पूजा के बाद नौ दिन तक भगवान का अलग-अलग स्वरूपों में विशेष शृंगार किया जाएगा।
पहला दिन - वस्त्र धारण
शिव नवरात्रि के पहले दिन बाबा महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाता है और जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाती है।
दूसरा दिन - शेषनाथ
दूसरे दिन बाबा महाकाल का शेषनाग रूप में श्रृंगार किया जाता है, इस दिन बाबा महाकाल भक्तों को शेषनाग स्वरूप में दर्शन देंगे।
तीसरा दिन - घटाटोप
तुतीय दिवस भगवान महाकाल अपने भक्तों को घटाटोप स्वरूप में दर्शन देंगे।
चौथा दिन - छबीना
चौथे दिन राजाधिराज बाबा महाकाल का छबीना श्रृंगार होगा, जो एक नवयुवक स्वरूप होता है। बाबा महाकाल का श्रृंगार एक राजकुमार की तरह किया जाता है।
पांचवां दिन - होल्कर
शिव नवरात्र के पंचम दिवस भगवान महाकाल को होलकर परंपराओं के अनुसार सजाया जाएगा।
छठा दिन - मनमहेश
छठवें दिवस महाकाल भगवान को मनमहेश स्वरूप में श्रृंगारित किया जाएगा।
सातवां दिन - उमा महेश
शिव नवरात्र के सातवें दिन महाकाल जी मां पार्वती के साथ उमा-महेश स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे।
आठवां दिन - शिव तांडव
आठवें दिन बाबा महाकाल शिव तांडव स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं, इस स्वरूप में महाकाल का रौद्र रूप भक्तों को देखने को मिलता है।
नौवें दिन - सप्तधान
शिव नवरात्रि के अंतिम दिन बाबा महाकाल सप्तधान स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देकर निहाल करते हैं।
शिवरात्र पर शिव होंगे निराकार
महाशिवरात्र पर पूरे दिन धार्मिक आयोजनों और पूजन पाठ का दौर सतत चलता रहता है। भगवान अपने निराकार स्वरूप में भक्तजनों को दर्शन देते हैं। माना जाता है कि शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए भगवान को दूल्हा स्वरूप में सजाया जाता है। शिवरात्रि की रात में मंदिर के पट बंद नहीं होते और पूरी रात पूजन चलता है। सुबह भगवान को सप्तधान, फल और फूलों से तैयार सेहरा पहनाया जाता है, जो भगवान का सबसे दिव्य स्वरूप होता है।
ऐसे होता है शिव विवाह का समापन
महाशिवरात्रि के अगले दिन शिव विवाह का समापन किया जाता है। यह साल में एकमात्र ऐसा अवसर होता है, जब महाकाल मंदिर में दोपहर में शयन आरती होती है और उसके बाद भस्म आरती होती है। इस तरह से नौ दिनी शिव नवरात्र का समापन होता है।
आरती पूजन का समय बदलेगा
शिव नवरात्र पर होने वाले आयोजनों को लेकर महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन सुबह 10.30 बजे होने वाली भोग आरती और शाम पांच बजे होने वाली संध्या पूजा का समय परिवर्तित हो जाता है। शिव नवरात्र में पूजन का विशेष क्रम होने से भोग आरती दोपहर एक बजे तथा संध्या पूजा दोपहर तीन बजे होगी।
मंदिर में होने लगी तैयारियां
शिव नवरात्र महापर्व को देखते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर में सभी तैयारियां लागभग पूर्ण कर ली गई हैं। मंदिर के गर्भगृह में रुद्रयंत्र व रजत दीवारों की सफाई, मंदिर में धुलाई व रंग-रोगन, विद्युत साज सज्जा का कार्य पूर्णता की ओर है।
श्रद्धालुओं को होंगे सुलभ दर्शन
महाशिवरात्रि पर्व पर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दर्शन, पूजन के लिए देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल मंदिर आते हैं। श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन हो सकें, इसके लिए दो प्रमुख बदलाव किए हैं। प्रवेश द्वार त्रिवेणी संग्रहालय, नीलकंठ द्वार, अवंतिका द्वार हर जगह पर संकेतक लगाएंगे, ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को पता चल सके उन्हें कहां से प्रवेश करना है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि इस बार भी ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन करवाने के लिए टनल का पूरी क्षमता से उपयोग किया जाएगा। इसके पहले टनल को प्रायोगिक रूप से खोला गया था। इसके लिए मंदिर प्रबंध समिति, इसके लिए व्यवस्था बनाने में जुटी है। सामान्य, विशिष्ट, अति विशिष्ट, बुजुर्ग, दिव्यांग सभी के लिए अलग व्यवस्था बनाई जा रही है।