आज भी हैं श्रीकृष्ण-सुदामा द्वारा जंगल से बीनी हुई लकड़ियां। भक्त मानते हैं इसे चमत्कार। लड़कियों के ऊपर उग रही हरी पत्तियां।
श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की कथा एक दिव्य उदाहरण है जो सच्ची मित्रता, विश्वास और भगवान की कृपा को दर्शाती है। नारायणा गांव में जो चमत्कारी लकड़ी के गट्ठर अभी भी मौजूद हैं, यह इस पौराणिक कथा की गहराई को सिद्ध करता है और भक्तों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया है।
भगवान श्री कृष्ण और सुदामा का लकड़ी के गट्ठर को लेकर जंगल से लौटने की कहानी भक्ति और श्रद्धा की एक अद्वितीय मिसाल पेश करती है। यहाँ पर जब तेज बारिश के कारण उन्होंने लकड़ी के गट्ठर को छोड़ दिया और पेड़ पर चढ़ गए, तो वह लकड़ी का गट्ठर धीरे-धीरे हरे-भरे वृक्षों में बदल गया। इस चमत्कारी घटना ने इस स्थल को एक दिव्य स्थिति दी, और आज भी भक्त इन वृक्षों की पूजा करते हैं।
जन्माष्टमी पर आयोजित होने वाले पर्व की तैयारी भी बहुत भव्य होती है। इस दिन भक्त श्री कृष्ण की जन्मस्थली पर आकर अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करते हैं। खीर प्रसादी, भजन, कीर्तन और रासलीला के आयोजन इस पवित्र अवसर को और भी खास बनाते हैं।
इस प्रकार के धार्मिक स्थलों और उनके आयोजनों से न केवल हमारे धार्मिक विश्वास मजबूत होते हैं, बल्कि यह हमें सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति और प्रेम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।