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सीएम के शहर में श्रद्धालुओं से मारपीट, क्या छवि लेकर लौटेंगे श्रद्धालु


उज्जैन - काल भैरव मंदिर में सुरक्षा गार्डों द्वारा श्रद्धालुओं से की जा रही मारपीट के वायरल वीडियो को देखकर समझा जा सकता है कि इन सुरक्षा गार्डो को किसी का डर नहीं है। ऐसा लगता है कि ये श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नहीं उनके साथ अभद्र व्यवहार व मारपीट के लिए रखे गए हैं।
सुरक्षा गार्डों ने उस श्रद्धालु को हाथों के साथ बेल्ट से भी पीटा। श्रद्धालु पर तीन से चार सुरक्षाकर्मी पिल पढ़े और उनकी जमकर पिटाई की। इतना ही वायरल वीडियो में स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि मारपीट होते देख एक अन्य सुरक्षाकर्मी भी वहां आ गया और उसने श्रद्धालु पर डंडा तान दिया। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि जिम्मेदार अधिकारी उस दौरान और अब बाद में क्या कर रहे थे।
 
मारपीट करने का क्या अधिकार
अब सवाल ये उठता है कि क्रिस्टल कंपनी को किस कार्य का दायित्व सौंपा गया है। क्या उन्हें श्रद्धालुजनों के साथ मारपीट करने का अधिकार दिया गया है और यदि हां तो ये अधिकार किसने दिया है। यह मान भी लिया जाए कि गलती श्रद्धालु की है, तब भी किसी सुरक्षाकर्मी को मारपीट का अधिकार नहीं है, बल्कि उन्हें पुलिस को सौंपना चाहिए। 
 
क्या छवि लेकर जाएंगे श्रद्धालु
ये वीडियो चंद ही मिनटों में पूरे देश में वायरल हो गया। ऐसे में सवाल ये भी है कि श्रद्धालु क्या छवि लेकर उज्जैन से जाएंगे। रोजाना लाखों श्रद्धालु मन में आस्था का भाव लिए उज्जैन आते हैं। लेकिन उन्हें महाकाल मंदिर सहित अन्य मंदिरों में इस तरह से सुरक्षा गार्डों द्वारा अभद्र व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
 
शुरूआती दौर से विवादों में है कंपनी
क्रिस्टल कंपनी को महाकाल मंदिर में भीड़ प्रबंधन का जिम्मा मई या जून 2023 में सौंपा गया था। तब से लेकर अब तक यानि करीब सवा साल में इस कंपनी के कर्मचारियों का सैंकड़ों बार श्रद्धालुओं से विवाद हो चुका है। बार बार किसी न किसी तरह से जिम्मेदार इनका पक्ष लेकर इनके किए पर पर्दा डाल देते हैं, जिससे इनके हौसले दिनों दिन और बढ़ते जा रहे हैं।
 
क्यों नहीं की गई पुलिस से शिकायत
दरअलस काल भैरव मंदिर में क्रिस्टल कंपनी के कर्मचारियों द्वारा की गई मारपीट का जो वीडियो सामने आया है। अब उस पर ये तर्क दिया जा रहा है कि जिस व्यक्ति के साथ मारपीट की गई उसने किसी महिला श्रद्धालु को धक्का मारा था। यदि ऐसा हुआ भी हुआ था तो इस मामले की शिकायत क्षेत्र में उपस्थित पुलिस या किसी प्रशासनिक अधिकारी से की जानी चाहिए थी। लेकिन भीड़ प्रबंधन के लिए तैनात क्रिस्टन के कर्मचारियों ने ऐसा न करते हुए खुद ही कानून को हाथ में ले लिया।
 
आखिर क्या जवाबदारी है पुलिस और प्रशासन की
श्रद्धालुओं के साथ लगातार हो रही इस तरह की घटनाओं के बाद ये भी प्रश्न खड़ा हो रहा है कि आखिर पुलिस, प्रशासन और महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति की क्या जवाबदारी है ? जिस प्रकार से लगातर इस कंपनी द्वारा श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं हो रहीं हैं और इस पवित्र नगरी की छवि को धूमिल किया जा रहा है, इसके लिए क्रिस्टल कंपनी के कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए सख्त कदम उठाए जाना चाहिए, ताकि दूसरे कर्मचारी भी इस घटना से सबक लें और इस तरह की हिमाकत करने से बचें।
ये ही नहीं यदि प्रशासन या पुलिस मानती है कि इस मामले में श्रद्धाुल दोषी है, तो उस पर भी न्यायोचित कार्रवाई की जाना चाहिए। इस मामले में अब संपूर्ण उत्तरदायित्व पुलिस, प्रशासन और महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति को ही तय करना है।
 
क्रिस्टल का कहना
मामले में क्रिस्टल कंपनी के अजय चावरे से फोन पर चर्चा की गई तो उनका कहना था कि अभी इनक्वायरी की जा रही है। उनसे जब यह पूछा गया कि आपके सुरक्षा गार्ड को श्रद्धालुओं को पीटने का अधिकार है। इस पर उन्होंने चुप्पी साध ली।
 
ग्रामीण व कम शिक्षितों की भर्ती
महाकाल मंदिर में जिस क्रिस्टल कंपनी को भीड़ प्रबंधन की कमान सौंपी गई है, उसने ऐसे कर्मचारियों को काम पर लगा दिया है, जो या तो ग्रामीण परिवेश के हैं या फिर कमशिक्षित हैं। ऐसा सिर्फ ड्यूटी करने वाले ही नहीं हैं, बल्कि उनके ऊपर जो सुपरवाइजर रखे गए हैं, उनके भी यही हालात हैं। कई बार तो हालात ये हो जाते हैं कि मंदिर आने वाले श्रद्धालु जब इन कर्मचारियों से कहीं का पता या कोई जानकारी चाहते हैं, तो ये उन्हें सही जानकारी भी नहीं दे पाते।
 
आखिर क्रिस्टल पर इतनी कृपा क्यों
जिला प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन और मंदिरों की सुरक्षा की कमान ठेका व्यवस्था के तहत निजी कंपनियों के हाथों में सौंप दी। लेकिन निजी कंपनी के कर्ताधर्ता और उनके कर्मचारी मंदिरों को अपनी बपौती मान बैठे और वहां मनमानी पूर्वक कार्य प्रणाली की एक श्रृंखला की शुरूआत कर दी। इस कंपनी के कर्मचारियों को बदतमीजी पर उतरने में देर नहीं लगती और उसके बाद फिर शुरू हो जाता है वाद विवाद, मारपीट का सिलसिला। किसकी शह पर ये कर्मचारी भीड़ प्रबंधन छोड़कर, श्रद्धालुओं के साथ गुंडों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। किन लोगों का इस कंपनी पर वरदहस्त बना हुआ है, जिसके कारण लगातार शिकायतों के बाद भी ये कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

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