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देश के नदी और तालाबों पर नजर रखने की जाएगी सैटेलाइट मैपिंग


मप्र में पहली बार नदी, तालाबों सहित छोटी-बड़ी जल संरचनाओं की सैटेलाइट मैपिंग की जाएगी। उज्जैन में यह कार्य हो गया है। इससे जल स्रोतों की वैज्ञानिक स्टडी के साथ भविष्य में इनका संरक्षण किया जा सकेगा। कई नदी, तालाब विलुप्त हो गए हैं। अतिक्रमण भी हो गए। मैपिंग से इनके क्षेत्रफल की वास्तविक स्थिति का अध्ययन कर जल स्रोतों को जीवित रखने का कार्य किया जा सकेगा। उज्जैन में शिप्रा का प्रवाह 200 किमी तक है। उसमें से 5-6 किमी तक यह सूख चुकी है। सैटेलाइट मैपिंग से पता चलेगा कि रुद्रसागर पर कितना कब्जा हुआ।

वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी ने बताया कि हिंदी और भारतीय भाषाओं में नदी-तालाबों पर कविता और साहित्य पर काम कर रहे हैं। शिप्रा भी सूख रही थी। नर्मदा की चिंता नहीं की तो सूख जाएगी। अमरकंटक में भी अतिक्रमण हो गया है। मैपिंग से वास्तविक तस्वीर समाने आएगी। उज्जैन की 11 नदियां हैं। उज्जैन में कई कुंड, बावड़ियों, घाट, नदियां थीं। प्राकृतिक कारणों और मानवीय उपेक्षा के कारण इनमें से कुछ का लोप हो गया।

जल स्रोतों का हर 6 महीने में रिव्यू होगा

मैप कास्ट के निदेशक अनिल कोठारी ने बताया कि मप्र के सभी जिलों की सैटेलाइट मैपिंग करने के बाद ई-पोर्टल लॉन्च करेंगे। जिस पर जिले और तहसील वार नदी, तालाबों की जानकारी, तस्वीर सिंगल क्लिक पर देखेगी। यह भी देख पाएंगे कि नदी में गंदगी तो नहीं है। हर छह महीने में रिव्यू करेंगे। कहीं अतिक्रमण किया जा रहा तो सीधे संबंधित अधिकारी को अलर्ट भेजा जाएगा।

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