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हाथ से भस्म निकालने का राज क्या, ब्लू और व्हाइट लाइट कैसे बनती है?


शहर के वसंत विहार क्षेत्र में स्थित तारामंडल के परिसर में अब भोपाल के बाद प्रदेश का दूसरा साइंस सेंटर भी आकार ले रहा है। इस उपक्षेत्रीय विज्ञान केंद्र में न सिर्फ मिसाइल और प्लेन सहित अत्याधुनिक विज्ञान पर आधारित मॉडल रखे जाएंगे, बल्कि विद्यार्थी यहां विज्ञान से जुड़े प्रयोग भी कर सकेंगे। साथ ही आम लोगों को भी यहां अंधविश्वासों के पीछे छिपे विज्ञान और विज्ञान से जुड़े अन्य रहस्यों की जानकारियां मिल सकेगी।

प्रदेश में अभी केवल भोपाल में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र है। इसके बाद अब उज्जैन में उपक्षेत्रीय विज्ञान केंद्र को बनाने का काम शुरू हो चुका है। यह भोपाल के साइंस सेंटर से भी बड़ा होगा। इसकी कुल लागत करीब 17 करोड़ रुपए है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार का अंश है। यानी इसके लिए 8.50 करोड़ रुपए केंद्र सरकार और 8.50 करोड़ रुपए राज्य सरकार दे रही है। मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2014 में उपक्षेत्रीय विज्ञान केंद्र का प्रस्ताव तैयार हुआ था। नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम (एनसीएसएम) की योजना के अंतर्गत यह साइंस सेंटर तैयार किया जा रहा है। इसमें म्यूजियम, आईटी पार्क, चिल्ड्रन पार्क के अलावा आधुनिक विज्ञान पर आधारित नए मॉडल रखे जाएंगे। करीब एक वर्ष के भीतर यह साइंस सेंटर बनकर तैयार होगा।

आम लोग भी जान सकेंगे विज्ञान से जुड़े रहस्य

साइंस सेंटर में केवल शहर ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य शहरों से भी विद्यार्थी आकर विज्ञान से जुड़े प्रयोग कर सकेंगे। उन्हें साइंस सेंटर में रखे जाने वाले मॉडल्स की जानकारी भी मौके पर ही मिल सकेगी। इसके अलावा आम लोगों और उज्जैन आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र रहेगा, क्योंकि यहां आम लोगों को भी नींबू काटने पर अलग-अलग रंग निकलने, हाथ से भस्म निकालने सहित अन्य अंधविश्वासों के पीछे छिपे विज्ञान को समझाया जाएगा। साथ ही ब्लू और व्हाइट लाइट कैसे बनती है, रैन-बो कैसे बनता है, जैसी विज्ञान आधारित जानकारियां मिल सकेंगी।

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