एचआईवी एड्स के खिलाफ जंग
जोखिम उठाकर चरक अस्पताल के डॉक्टर्स व स्टाफ ने पांच में से चार ऐसी महिलाओं की नसबंदी की है, जो कि एचआईवी एड्स से ग्रसित हैं। इसके लिए अस्पताल की ओटी ऑपरेशन थियेटर में एक दिन में दो और दूसरे दिन दो, इस तरह से कुल चार महिलाओं की नसबंदी की गई, जिसमें सुरक्षा के सभी आवश्यक उपाय किए गए ताकि नसबंदी करने वाला स्टाफ संक्रमित होने से बच सके। पांच में से एक महिला के गर्भवती होने से उसकी नसबंदी नहीं की जा सकी। एचआईवी संक्रमित महिलाओं की नसबंदी करने से इंकार या हाथ खड़े किए जाने की बजाय अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए साहस व तकनीक का उपयोग कर एचआईवी एड्स ग्रसित महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन कर दिखाया।
ये रिस्की नसबंदी ऑपरेशन जिला अस्पताल के अंतर्गत संचालित 450 बेड के चरक अस्पताल की ऑपरेशन थियेटर में किए गए। चरक अस्पताल की स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. रेणु दुबे और टीम ने पूर्ण रूप से सावधानी बरतते हुए एक के बाद एक चार महिलाओं की नसबंदी की, जिसके लिए ओटी का फ्यूमीगेशन किया गया और उपकरणों का स्टेरिलाइज किया गया। चरक अस्पताल में एक अलग ओटी तैयार की गई। डॉ. दुबे ने बताया कि यह रिस्की तो था पर मां से बच्चों में एड्स को फैलने से रोकने के लिए नसबंदी जरूरी थी। जिसमें सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया। ओटी इंचार्ज सारिका विपुलकर व वार्ड बाय विशाल के सहयोग से यह नसबंदी की गई।