top header advertisement
Home - उज्जैन << राजधानी उज्जयिनी (परिवर्तित नाम उज्जैन) व्यापार का बड़ा केंद्र हुआ करता था

राजधानी उज्जयिनी (परिवर्तित नाम उज्जैन) व्यापार का बड़ा केंद्र हुआ करता था


उज्जैन के महान शासक सम्राट विक्रमादित्य की महिमा से लोगों को परिचित कराने और लोककला-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 2006 में प्रारंभ किया ‘विक्रमोत्सव’ इस वर्ष मालवांचल में रोजगार संग उन्नति का द्वार भी खोल रहा है। प्रसिद्ध ग्वालियर मेले की तर्ज पर एक मार्च से उज्जैन में महीनेभर के लिए विक्रम व्यापार-उद्योग मेला लगाना, इसका शुभ संकेत है।

मेला लगाने के लिए नगर निगम, जिला पंचायत, संस्कृति, उद्योग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग मेले के लिए 100 एकड़ जमीन तलाश रहे हैं। मेले में दुकान लगाने को हस्तशिल्पियों संग टेक्सटाइल, इलेक्ट्रिक, आटोमोबाइल आदि कारोबारियों से संपर्क साध रहे हैं।

मालूम हो कि प्राचीन भारत की 16 महाजनपदों में शुमार अवंति (वर्तमान मालवा क्षेत्र) की राजधानी उज्जयिनी (परिवर्तित नाम उज्जैन) व्यापार का बड़ा केंद्र हुआ करता था। शिप्रा नदी के रास्ते चंबल, यमुना, गंगा के तटीय क्षेत्रों से लेकर खाड़ी देशों तक उज्जैन की पहुंच हुआ करती थी। उज्जयिनी के प्राचीन सिक्के और भर्तृहरि गुफा के पास शिप्रा नदी किनारे बंदरगाह होने के पद्मश्री डा. विष्णुश्रीधर वाकणकर को मिले प्रमाण इस बात की पुष्टि भी करते हैं।

सम्राट विक्रमादित्य, सम्राट अशोक के समय और उनके बाद भी उज्जैन का सर्वांगीण विकास हुआ। तीन दशक पहले तक उज्जैन सोयाबीन तेल और कपड़ा उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र भी माना जाता था, मगर कुछ नीतियों और मशीनों में बदलाव न होने से ये उद्योग धीरे-धीरे बंद होते चले गए।

Leave a reply