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महाकाल की सवारी पर ‘कुल्ला करने और थूकने’ के बहुचर्चित मामले के इकलौते बालिग आरोपी को जमानत


हाईकोर्ट की इंदौर पीठ उज्जैन में पिछले साल जुलाई के दौरान महाकाल की सवारी पर ‘कुल्ला करने और थूकने’ के बहुचर्चित मामले के इकलौते बालिग आरोपी को जमानत दे दी है। कोर्ट ने यह आदेश उसकी गिरफ्तारी के करीब पांच महीने बाद दिया है। अदालत ने मामले के शिकायतकर्ता और चश्मदीद गवाहों में शामिल एक व्यक्ति के पक्षद्रोही हो जाने और अन्य तथ्यों पर गौर करते हुए आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर की।

हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने अदनान मंसूरी (18) की जमानत याचिका मंजूर करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के सामने शिकायतकर्ता सावन लोट और चश्मदीद गवाह अजय खत्री ने अभियोजन के दावों का समर्थन नहीं किया और वे पक्षद्रोही हो गए। अदालत ने कहा कि पुलिस के जांचकर्ता अधिकारी ने आरोपी की शिनाख्त परेड भी नहीं कराई।

मामले की जांच होना चाहिए

एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के कार्यकर्ता जैद पठान ने कहा कि मामले के शिकायतकर्ता और एक चश्मदीद गवाह के पक्षद्रोही हो जाने के बाद प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई को लेकर जाहिर तौर पर गंभीर सवाल उठ गए हैं। जैद पठान ने मांग करते हुए कहा कि आरोपियों के मकानों के हिस्सों को आनन-फानन में अवैध बताकर ढहाए जाने की जांच की जानी चाहिए और अगर प्रशासन का यह कदम गलत पाया जाता है, तो पीडि़त परिवारों को सरकारी खजाने से मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके लिए आगे कार्रवाई करेंगे।

दो नाबालिग आरोपियों को मिल चुकी है जमानत

उच्च न्यायालय में बहस के दौरान मंसूरी की जमानत याचिका पर अभियोजन की ओर से आपत्ति जताते हुए कहा गया कि कथित घटना के सीसीटीवी फुटेज में आरोपी की पहचान हुई है और उसके खिलाफ सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने के गंभीर आरोप हैं। बचाव पक्ष के वकील देवेंद्रसिंह सेंगर ने बताया कि उच्च न्यायालय मामले में दो नाबालिग लड़कों की जमानत याचिकाएं पहले ही मंजूर कर चुका है।

शिकायतकर्ता लोट ने मंसूरी और दो नाबालिग लड़कों पर यह आरोप लगाते हुए उज्जैन के खाराकुआं पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उन्होंने 17 जुलाई 2023 की शाम एक इमारत की छत पर खड़े होकर श्रावण माह के सोमवार पर निकाली जा रही महाकाल की सवारी पर पानी का कुल्ला किया था और थूका था।

इस मामले में पुलिस ने भारतीय दंड विधान की 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य), धारा 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना) और अन्य संबद्ध प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था। गिरफ्तारी के बाद मंसूरी को न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया था, जबकि दो नाबालिग लड़कों को बाल सुधार गृह भेजा गया था। उन्होंने बताया कि घटना के दो दिन बाद 19 जुलाई 2023 को आरोपियों के परिवारों के मकानों के ‘अवैधÓ हिस्सों को ढहा दिया गया था।

फिलहाल फैसले को लेकर कुछ भी कहना उचित नहीं है। न्यायालय का आदेश देखने के बाद कानूनी राय लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में आगे की कार्रवाई की जाएगी। –गुरुप्रसाद पाराशर, एएसपी उज्जैन

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