उज्जैन में शिप्रा नदी और गंभीर बांध का पानी का खेती और उद्योग के लिए उपयोग करने पर होगी कार्रवाई
उज्जैन। महीनों बाद अंतत: जिला प्रशासन ने मंगलवार को पेयजल परिक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत गंभीर बांध और शिप्रा नदी का पानी केवल घरेलू उपयोग के लिए संरक्षित घोषित कर दिया। अमूमन इस प्रकार की घोषणा वर्षाकाल समाप्त होने के बाद अक्टूबर- नवंबर माह में की जाती रही है मगर इस बार काफी समय गुजर जाने के बाद की है।
आदेश के मुताबिक गंभीर और शिप्रा नदी का पानी कृषि या औद्योगिक इस्तेमाल में लेने पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, नगर निगम आयुक्त रौशन कुमार सिंह ने एक दिन पहले कलेक्टर को अवगत कराया गया था कि उज्जैन शहर की आधी आबादी के लिए जल उपलब्धता का मुख्य केंद्र गंभीर बांध है, जिसके जल भराव क्षेत्र में दोनों किनारों पर स्थित गांव के किसान खेतों को सींचने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। नदी का पानी मोटर पंप से खींचा जा रहा है।2250 मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी)जल संग्रहण क्षमता वाले गंभीर बांध में अब केवल 1600 एमसीएफटी पानी उपलबध है। शहर की दैनिक आवश्यकता 6 एमसीएफटी की है और रीसाव एवं अन्य कारणों से औसत रोजाना 9 एमसीएफटी पानी घट रहा है।इस हिसाब से डेड स्टोरेज का 100 एमसीएफटी पानी छोड़ दे तो शेष 1500 एमसीएफटी पानी अगले 166 दिन यानी 15 जून तक शहर में प्रदाय किया जा सकेगा। भविष्य में पानी की समस्या न हो, इसके मद्देनजर गंभीर बांध के अपस्ट्रीम में संग्रहित जल और शिप्रा में एकत्र को सुरक्षित रखने के लिए पेयजल परिरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाना आवश्यक है।