ऑनलाइन के बाद भी स्टॉल का ऑफलाइन आंवटन, 15 हजार रुपए तक में ऑफलाइन दुकानें दी, जांच शुरू
कालिदास अकादमी परिसर में लगाए गए हस्तशिल्प मेले में स्टॉल के आवंटन में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। इसमें आरोप है कि मेला परिसर में खाली पड़ी जगह पर कच्ची रसीदों पर ही दुकानों का आवंटन किया जा रहा है। यहां जोन ए व जोन सी में दुकानों को लगवा दिया गया है। खास बात यह है कि मेले में दुकानों का आवंटन ऑनलाइन किया गया है तो ऑफलाइन कच्ची रसीदें कैसे बनाई जा रही है।
दुर्गा प्रजापति की 15 हजार की तो रसीद बनाकर उन्हें जोन-ए में स्टॉल क्रमांक 0-3 आवंटित की गई तो महाराष्ट्र से आए राहुल को सलवार-सूट की दुकान लगाने के लिए पांच हजार की रसीद काटकर जोन-सी में स्टॉल क्रमांक 0-20 का आवंटन किया गया। यह मामला नवागत कलेक्टर नीरजकुमार सिंह के पास में भी पहुंचा है। इसके बाद जिला पंचायत प्रशासन की ओर से जांच शुरू करवा दी गई है। इसमें जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
वार्ड-53 के पार्षद प्रतिनिधि व भाजपा नेता करण परमार ने अपनी शिकायत में लिखा है कि हस्तशिल्प मेला लगे करीब 10 दिन हो चुके हैं, उसके बाद दुकान संचालकों को पक्की रसीदें क्यों नहीं दी जा रही है। मेले में दुकानों के आवंटन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जिला पंचायत प्रशासन की ओर से दुकानों या स्टॉल के आवंटन की व्यवस्था ऑनलाइन की गई थी, जिसके तहत ही दुकानों का आंवटन किया है।
जांच होगी तो जवाब दे दूंगा
पार्षद प्रतिनिधि परमार ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए बताया कि दुकान संचालकों की 5 हजार से लेकर 15 हजार तक की रसीदें बनाई गई है। जिस पर उन्होंने आपत्ति ली तो जिला पंचायत के अजय भालसे ने उन्हें कहा कि मैं मेरे हिसाब से काम करूंगा। मेरे खिलाफ जांच होगी तो मैं उचित प्लेटफार्म पर जवाब दे दूंगा।अजय भालसे का कहना है कि हमने संबंधित दुकान वालों को टोकन दे दिया है। राशि भी जमा हो जाएगी। गड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं, आरोप निराधार है।