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महाकाल लोक की मूर्तियों जैसा हाल अन्य लोकों का नहीं हो !


संदीप कुलश्रेष्ठ
                  उज्जैन में महाकाल लोक के प्रथम चरण में करीब 310 करोड़ रूपए की लागत से भव्य महाकाल लोक का निर्माण किया गया था। इसका लोकार्पण देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। देश- विदेश में इसकी प्रसिद्धि भी बहुत हुई थी। महाकाल लोक बनने के बाद देश- विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी वृद्धि हो गई है। इसी बीच 28 मई को एक आँधी तूफान ने भव्य और आकर्षक सप्त ऋषियों की 7 मूतियों में से 6 मूर्तियाँ नीचे गिरकर खंडित हो गई। महाकाल लोक की अन्य मूर्तियों में से कुछ में भी या तो उसका रंग उड़ गया है या दरारें आ गई है। इससे महाकाल लोक की जो छवि बनी थी वह धूमिल पड़ गई है। 
त्रिवेणी मंडपम का गुंबद गिरा -
                      महाकाल लोक में आए तूफान के 3 दिन बाद महाकाल लोक में ही स्थित त्रिवेणी मंडपम में पिलर पर लगा गुंबद नीचे गिर गया। यह करीब 3 किलो को था। बाबा महाकाल की कृपा से कोई जनहानि नहीं हुई। गुम्बद गिरने से भी शासन- प्रशासन के कार्य पर प्रश्न चिह्न लग गए हैं।         
मुख्यमंत्री द्वारा अन्य लोकों के निर्माण की घोषणा -
                      भव्य और आकर्षक महाकाल लोक की स्थापना से और देश-विदेश में प्रसिद्धि प्राप्त करने से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान अत्यन्त हर्षित हो गए थे। यह होना स्वाभाविक भी था। इससे उत्साहित होकर प्रदेश में अनेक मंदिरों के लिए भी लोकों के निर्माण की घोषणा की गई। इसमें प्रमुख है - ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य के नाम पर बन रहा आध्यात्म लोक। इस पर करीब 21 हजार करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है। इसी प्रकार प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ओरछा में श्री राम राजा लोक की मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई। इसके प्रथम चरण में 176 करोड़ रूपए खर्च होंगे। इसी प्रकार सीहोर जिले में स्थित सलकनपुर में माता जी के मंदिर के लिए भी लोक की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई। भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव में भी भव्य लोक बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई। इसी प्रकार दतिया में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ पीताम्बरा पीठ में भी माता जी के लोक के नाम पर एक लोक का निर्माण किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने इन लोकों की घोषणा करने के बाद इसके प्रथम चरण के लिए राशि की भी घोषणा कर दी है।
कारणों की पड़ताल है जरूरी - 
                     उज्जैन के बाबा महाकाल के परिसर में बने भव्य महाकाल लोक की सप्त ऋषियों की 7 मूर्तियों में से 6 मूर्तियों के गिरने और खंडित होने के कारणों की खोज राज्य सरकार को करनी चाहिए। केवल आँधी- तूफान पर इसका दोष नहीं मड़ा जाना चाहिए। सही कारणों की पड़ताल कर महाकाल लोक में बनी अन्य मूर्तियों में आई दरारों का भी उचित सुधार किया जाना अत्यन्त आवश्यक है, ताकि आगामी बारिश के मौसम में कोई अन्य अनहोनी नहीं होने पाए। 
उज्जैन की अन्य मूर्तियाँ है सुरक्षित -
                      उज्जैन में विभिन्न चौराहों पर अनेक मूर्तियाँ लगी हुई है। इन मूर्तियों में से कुछ मूर्तियाँ करीब 40 से 70 साल पुरानी भी है। गत 28 मई को आए तूफान में इन मूर्तियों का बाल भी बांका नहीं हुआ। यहाँ सहज ही यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि महज 7 महीने पहले बने महाकाल लोक की यह मूर्तियाँ बारिश के पहले तूफान में ही कैसे धराशायी हो गई ? यह सोचने की बात है। इस पर राज्य सरकार को भी सोचना और विचारना आवश्यक है। 
अन्य लोकों के निर्माण में रखा जाए ध्यान -
                  महाकाल लोक की सप्त ऋषियों की मूर्तियाँ गिरने के कारणों की निष्पक्ष जाँच परिणाम प्राप्त होने के बाद राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के अन्य धार्मिक मंदिरों के लिए अनेक लोकों के निर्माण की जो घोषणा की गई है, वहाँ ऐसे हालात बने ही नहीं जैसे महाकाल लोक में बने है। इससे लोगों की आस्था पर आँच भी नहीं आने पाएगी और भव्य और आकर्षक लोकों का निर्माण भी हो सकेगा। 
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