आखिर महिला पहलवानों को कब मिलेगा न्याय ?
जरा याद कीजिए, ओलिम्पिक के खेल हो या राष्ट्रमंडल के खेल में देश की महिला खिलाड़ियों ने जब अपने देश का परचम फहराया था, तब सारे देशवासियों का सीना गर्व से फूल गया था। देश की बेटियों ने विश्वभर में देश का नाम रोशन कर दिया था। यह महिला सशक्तिकरण का सबसे अच्छा उदाहरण था। किन्तु देश के गौरव इन्हीं महिला पहलवानों विनेश फोगाट, संगीता फोगाट, साक्षी मलिक और अन्य महिला पहलवानों को जिस तरह बीच सड़क पर अमानवीय तरीके से घसीटकर और बर्बरता पूर्वक धरना स्थल से पुलिस ले गई और उनका अपमान किया तथा साक्षी मलिक के सिर पर एक पुलिसकर्मी ने अपना जूता पहना पैर रखा दिया, तब सरकार और पुलिस की बर्बरता पर तब पूरे देशवासी रो पड़े ! पुलिस की ऐसी शर्मनाक हरकत पर केन्द्र सरकार का चुप रहना यह नहीं दर्शाता कि वह आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बचाना चाहती है ? साथ ही केन्द्र सरकार का यह रवैया यह भी दर्शाता है कि केन्द्र सरकार, जो बार-बार 140 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करती कहती है, वह जनता को अपना मुँह किस तरह से दिखायेगी ?
ऐसा क्यों हुआ ? महिला पहलवानों ने ऐसा क्या कर दिया था कि पुलिस निरंकुश हो गई और बर्बरता पर उतर आई। महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न पर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर सबसे पहले इस साल की शुरूआत जनवरी में सबसे पहले गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। महिला खिलाड़ियों ने सरकार के आश्वासन पर उस समय जंतर- मंतर पर अपना धरना स्थगित कर दिया था। परंतु आश्वासन पर कुछ काम नहीं होने पर पीड़ित महिला पहलवान दिल्ली के जंतर - मंतर पर फिर से धरने पर बैठ गई थी। करीब एक महीने से धरने पर बैठी महिला पहलवानों के आरोप अत्यन्त गंभीर होने के बावजूद पुलिस ने आरोपी के विरूद्ध एफआईआर तक दर्ज नहीं की। जब महिला पहलवानों को मजबूर होकर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर ही आरोपियों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हो पाई।
भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर गंभीर दो एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अभी तक पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार तक नहीं किया। इस कारण दुःखी होकर महिला पहलवान और उनके साथी श्री बजरंग पुरिया ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जीते गए अपने सभी पदक हरिद्वार में माँ गंगा नदी में बहा देने का फैसला लिया। दुःखी और पीड़ित महिला पहलवान हरिद्वार में गंगा नदी पहुँच भी गए, किन्तु भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता श्री राकेश टिकैत के वहाँ पहुँचकर समझाने पर महिला पहलवानों ने अपने पदक बहाने का फैसला रोक दिया। तब राकेश टिकैत ने महिला पहलवानों को प्राप्त सभी पदक अपने पास सुरक्षित रख लिए।
ज्ांतर-मंतर पर शांतिपूर्वक धरना दे रही महिला पहलवानों का आंदोलन समाप्त करने के लिए पुलिस ने बर्बरतापूर्वक कार्रवाई कर धरना तो समाप्त करवा दिया, किन्तु पूरे देश में महिला पहलवानों के प्रति संवेदना की लहर दौड़ गई। इस बीच महिला पहलवानों के समर्थन में खाप पंचायतों की समिति ने फैसला किया कि गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस को आगामी 9 जून तक का समय दिया जायेगा। निश्चित समय तक कुछ नहीं होने पर देशभर में आंदोलन शुरू करेंगे। खाप पंचायतों भी महिला पहलवानों के साथ धरने पर बैठेंगे। खाप पंचायतों ने यह भी फैसला किया है कि वे महिला पहलवानों को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रपति और गृहमंत्री से भी मिलेंगे।
इस बीच हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस ने महिला पहलवानों द्वारा दर्ज दो एफआईआर का ब्यौरा प्रकाशित कर देशभर में तहलका मचा दिया है। इस समाचार पत्र ने अपनी एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित कर बताया कि एफआईआर के अनुसार 6 महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाया है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कम से कम 15 बार महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया। इसी के साथ महिला पहलवानोंं ने एफआईआर में यह भी बताया कि उनके साथ अध्यक्ष द्वारा अनुचित ढंग से छुने की 10 घटनाएँ भी हुई । इतना ही नहीं एफआईआर के अनुसार 2 घटनाएँ ऐसी भी दर्ज है जिनमें आरोप है कि बृजभूषण शरण सिंह ने उनके कैरियर में आगे बढ़ने के लिए शारीरिक संबंध बनाने की भी मांग रखी थी। पीड़ित महिला पहलवानों के अनुसार सभी घटनाएँ 2012 से गत वर्ष 2022 के बीच की है। कुछ घटनाएँ भारत में उनके साथ हुई और कुछ विदेश में होना भी बताई गई है। महिला पहलवानों में बृजभूषण के प्रति इतना डर समा गया था कि वे अकेली कहीं चल भी नहीं पाती थी और हमेशा समूह में ही आती-जाती थी।
सन 2012 से 2022 के बीच हुई घटनाओं से डरकर पीड़ित महिलाओं ने एफआईआर में अपने साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटनाओं का ब्यौरा दिया है। यह सहज ही सोचा और समझा जा सकता है कि पिछले 10 साल के दौरान महिला पहलवानों ने किस प्रकार और कितना यौन उत्पीड़न सहा होगा ? जब सहन सीमा समाप्त हो गई तब जाकर उन्होंने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की घटनाएँ बताई और आरोपी के विरूद्ध गिरफ्तारी की माँग रखी।
देश की गौरव बताई गई इन महिला पहलवानों के साथ इतना कुछ हो जाने के बावजूद केन्द्र सरकार की चुप्पी अत्यन्त दःुखद और आश्चर्यजनक है। क्या केन्द्र सरकार आरोपी और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के प्रति लगे गंभीर आरोप पर मात्र इसलिए चुप है कि आरोपी भाजपा का सांसद है ? यदि ऐसा है तो यह और भी अधिक दुखदायी है। महिला पहलवानों के साथ हो रहे इस प्रकार असंवेदनशील व्यवहार पर देशवासियों की ओर से गंभीर प्रतिक्रिया आ रही है। वे दुखी हैं और चाहते हैं कि केन्द्र सरकार नींद से जागे और बेटी बचाओं- बेटी पढ़ाओं का नारा देने वाली केन्द्र सरकार बेटियों के साथ न्याय करें ! अब भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से सांसद बृजभूषण शरण सिंह को जब तक बर्खास्त नहीं किया जायेगा और गिरफ्तार नहीं किया जायेगा, तब तक महिला पहलवानों को न्याय नहीं मिलेगा !
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