बात यहां से शुरू करते हैं... हमारे नेता कमलनाथ.... पर हम पर भरोसा तो करो 'साहब'
राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी
अरविंद तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार
लंबे समय से टल रही मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं की बैठक आखिरकार दिल्ली में हो ही गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई इस बैठक में मौजूद नेताओं ने एक स्वर में कहा कि हमें कमलनाथ का नेतृत्व मंजूर है और इन्हीं की लीडरशिप में चुनाव लड़ा जाना चाहिए। यहां तक तो ठीक था, इसके बाद सभी नेताओं ने एक स्वर में यह भी कहा कि हम सब कमलनाथ के साथ हैं, पर उन्हें हम पर भरोसा करना होगा और सबको साथ लेकर चलना होगा। बैठक का यह नजारा खुद कमलनाथ के लिए चौंकाने वाला था। वह इसलिए कि संभवत: उनकी मौजूदगी में पहली बार इस तरह का संवाद प्रदेश के नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से किया।
'सरकार' भी मान रहे हैं कि कहीं चूक तो हुई है
बीते सप्ताह तेज आंधी के दौरान महाकाल लोक परिसर में जो नजारा देखा गया उसने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वाहवाही बटोरने के लिए ताबड़तोड़ जो काम किया जाता है, वह परेशानी का कारण बनता ही है। जितनी चर्चा देश में महाकाल लोक के आकार लेने के बाद हुई थी, उससे ही थोड़ी कम-ज्यादा सप्तऋषि मंडल के तहस-नहस होने के बाद चल पड़ी। अफसर जवाब देते-देते परेशान हैं और 'सरकार' को भी यह मानना पड़ रहा है कि कहीं न कहीं चूक तो हुई है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन अभी तो वे सब लोग बहुत सक्रिय हो गए हैं, जिन्होंने महाकाल लोक के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर मुखरता दिखाई थी।
वीडी शर्मा की घेराबंदी, हितानंद की बल्ले-बल्ले
भाजपा में संगठन महामंत्री का अपना एक अलग जलजला रहता है। कृष्णमुरारी मोघे से शुरू हुआ यह सिलसिला कप्तानसिंह सोलंकी, माखनसिंह, अरविंद मेनन, सुहास भगत तक होते हुए अब हितानंद पर आ टिका है। संगठन कैसे चलेगा यह तो संगठन महामंत्री तय करते ही हैं, लेकिन सरकार के काम में भी उनकी दखलंदाजी रहती है। इसके बावजूद वे सेफ जोन में ही रहते हैं। ताजा दौर में पार्टी का ही एक धड़ा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की घेराबंदी में लगा है। इस धड़े का तो यह भी मानना है कि अध्यक्ष जल्दी ही विदा कर दिए जाएंगे, लेकिन इस उठापटक में हितानंद की बल्ले-बल्ले है। अध्यक्ष हटे या रहें उनकी सेहत पर कोई असर पडऩे वाला नहीं है।
चुनावी साल-लोक और बोर्ड के मायाजाल में उलझी सरकार
मध्यप्रदेश में इन दिनों सरकार लोक और बोर्ड में उलझी हुई है। पिताम्बरा लोक, परशुराम लोक, सलकनपुर लोक और न जाने कितने लोक। इसी तरह जातीय संतुलन को साधने के लिए रोज नए बोर्ड बनाने की घोषणा हो रही है। लोक और बोर्ड का यह मायाजाल विधानसभा चुनाव में कितना चमत्कार दिखा पाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
साढ़े 19 साल के शासन के बाद भी यदि किसी राजनीतिक दल को इन सब बातों का सहारा लेना पड़ रहा है, तो साफ है कि कहीं-न-कहीं गड़बड़ तो हुई है। वैसे 10 साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अक्सर यह कहा करते हैं कि चुनाव विकास से नहीं जीते जाते हैं। उनकी यह बात शायद शिवराज जी को पसंद आ गई।
प्रधानमंत्री तक पहुंचा इंदौर के कारोबारी से अड़ीबाजी का मामला
इंदौर के एक कारोबारी को चौथ वसूली के लिए भाजपा के एक जिम्मेदार पदाधिकारी द्वारा धमकाने का मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच गया। इस मामले में केंद्रीय एजेंसियां भी सक्रिय हुईं और उन्होंने धमकी देने वाले पदाधिकारी की पूरी कुंडली बनाकर दिल्ली पहुंचा दी। दरअसल मामले को इसलिए गंभीरता से लिया गया कि बोहरा समाज के धर्मगुरु सैयदना साहब के माध्यम से बात प्रधानमंत्री तक पहुंची थी। परेशान कारोबारी ने अपना दुखड़ा सैयदना साहब को सुनाया था और इसी के बाद बात आगे बढ़ी। वैसे मध्यप्रदेश और खासकर इंदौर में सत्ता और संगठन से जुड़े नेताओं की अड़ीबाजी और चौथ वसूली कोई नया मामला नहीं है।
जहां धनी-धोरी नहीं वहां कागजों पर ही हो गया सेक्टर मंडलम का खेल
2018 के विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी के खासमखास दीपक बाबरिया ने मध्यप्रदेश के सेक्टर और मंडलम के गठन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। बात ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई और थोड़े ही दिन बाद बाबरिया मध्यप्रदेश से बेदखल हो गए। इसके बाद संगठन को मजबूत करने में लगे कमलनाथ ने अपने खासमखास एनपी प्रजापति को यह काम सौंपा। वे भी अच्छा नतीजा नहीं दे पाए, तो फिर अशोक सिंह को मोर्चे पर लगाया गया। जैसे-तैसे उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाया, लेकिन ज्यादा सफल नहीं हो पाए, जहां कांग्रेस के विधायक हैं, यानि करीब 100 विधानसभा क्षेत्रों में। बाकी 130 विधानसभा क्षेत्रों में इसका कोई धनी-धौरी है नहीं और कागजों पर ही खेल हो रहे हैं।
असर दिखने लगा है जयवर्धनसिंह की दस्तक का
दिग्विजय सिंह उन विधानसभा क्षेत्रों में दस्तक दे रहे हैं, जहां कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है। मध्यप्रदेश की सियासत में मजबूती से पांव जमा चुके उनके बेटे जयवर्धन सिंह को पार्टी ने इंदौर और उज्जैन का जिम्मा सौंपा है। दोनों जगह कांग्रेस कितनी गहरी है और क्या संभावना है, यह जयवर्धन को पता करना है। वे एक बार इंदौर आ चुके हैं और कई नेताओं के यहां दस्तक दे दी है। उनकी राजी-नाराजी भी समझ ली है। जल्दी ही वे फिर इंदौर आएंगे और दो-तीन दिन यहीं रुककर यह समझने की कोशिश करेंगे कि आखिर इंदौर में कांग्रेस मजबूत कैसे हो सकती है।
चलते-चलते
बंटी और बबली के किस्से तो आपने बहुत सुना होगा लेकिन मंत्रालय वल्लभ भवन में इन दिनों बंटी और बाबू बहुत चर्चा में है। यह दोनों अपर मुख्य सचिव स्तर के दो अफसरों के लिए लेन-देन का काम करते हैं। इनके बिना दोनों अफसरों के विभाग में पता नहीं खड़कता है। जरा पता कीजिए आखिर यह दो अपर मुख्य सचिव है कौन।
पुछल्ला
जिस अंदाज में इंदौर में रियल इस्टेट के कारोबारियों ने इंदौर रियलटर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले बड़ा कार्यक्रम कर डाला। उससे यह तो साफ हो गया कि यह नई संस्था क्रेडाई और नरेडको जैसी रियल इस्टेट कारोबारियों की बड़ी और पुरानी संस्थाओं से आगे निकल गई है। यह संस्था नेशनल रियलटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानि एनएआर से जुड़ी हुई है, जिसके देशभर में 55 चेप्टर हैं। इस सफल और चर्चित आयोजन का श्रेय भूपेन्द्र जोशी और शैलेन्द्र डर्डा के खाते में जाता है।
बात मीडिया की
खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुनील सिंह बघेल के दैनिक भास्कर को अलविदा कहने की खबर आ रही है। बघेल का अगला मुकाम क्या होगा, इस पर सबकी नजर है। वैसे उनके भास्कर को अलविदा कहने का कारण किसी को समझ नहीं आ रहा है।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समान दखल रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और इंदौर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी इंदौर में राज एक्सप्रेस के संपादक हो गए हैं। एक समय प्रदेश में चर्चा में रहे राज एक्सप्रेस की री-लांचिंग की तैयारी है। इंदौर में एक बड़ी टीम के साथ काम शुरू हो गया है।
जागरण समूह अब नईदुनिया और नवदुनिया पर बहुत फोकस कर रहा है। पिछले दिनों विष्णु त्रिपाठी की मौजूदगी में भोपाल में एक बड़ी बैठक हुई और इसी दौरान त्रिपाठी संपादकीय विभाग के सभी जिम्मेदार लोगों से एक जूम मीटिंग के माध्यम से वन-टू-वन भी हुए और फीडबैक लिया।
अनेक न्यूज चैनल में महत्वपूर्ण किरदार में रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण दुबे का न्यूज चैनल जून के पहले पखवाड़े में ऑनएयर हो जाएगा। दुबे ने ठोस वित्तीय प्रबंध और मजबूत टीम के साथ कदम आगे बढ़ाए हैं।
काफी दिन अवकाश पर रहने के बाद नईदुनिया के सिटी चीफ जितेन्द्र यादव वापस ड्यूटी पर आ गए हैं। सुनने में आ रहा है कि स्वास्थ ठीक न होने के कारण उन्होंने कुछ दिन अखबार से दूरी बना ली थी।