क्या मौके के इंतजार में रखा गया था यह लेटर बम....
राज-काज
दिनेश निगम ‘त्यागी’,वरिष्ठ पत्रकार
वीडी शर्मा को लेकर लिखा गया एक लेटर सबसे ज्यादा चर्चा में है। वर्ष 2022 के इस पत्र को पहले कांग्रेस के एक नेता ने वायरल कर वीडी को घेरा था, इसे ही बाद में सागर महापौर संगीता तिवारी के पति सुुशील तिवारी ने सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। पत्र में वीडी शर्मा पर गंभीर आरोप हैं। तिवारी ने पत्र ही नहीं जारी किया, नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात भी कह डाली। इससे भाजपा के अंदर हड़कंप मच गया। तिवारी को तत्काल कारण बताओ नोटिस जारी हुआ। गलती का अहसास होने पर हड़बड़ाए तिवारी ने जवाब देने में देर नहीं लगाई। सुशील ने इसका दोषी अपने पीए को ठहराया और जानकारी दी कि गलती करने पर उन्होंने अपनी पीए को हटा दिया है। इतना वृतांत तो हर किसी को मालूम है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस लेटर बम को मौके के इंतजार में दबा कर रखा गया था? जैसे ही नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कसरत शुरू हो गई, इस लेटर बम से विस्फोट कर दिया जाएगा। वरना वर्ष 2022 में लिखा गया यह लेटर अब ही सामने क्यों आया जब प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की खबरें तेजी से फैली हैं। बता दें, सुशील तिवारी पुराने कांग्रेसी हैं। मंत्री भूपेंद्र के प्रयास से वे भाजपा में आए थे और उनकी ही सिफारिश पर इनकी पत्नी को महापौर का टिकट मिला था।
बात का बतंगड़ और सोशल मीडिया का कमाल
सोशल मीडिया से हर कोई डरता है। यह प्लेटफार्म किसी की भी पोल खोल सकता है, धजी का सांप बनाने की तरह झूठ को सच साबित कर सकता है। बात के बतंगड़ से ऐसा कमाल कि मप्र भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा रातों-रात हट जाते हैं और उनके स्थान पर प्रहलाद पटेल की ताजपोशी हो जाती हैंं। प्रहलाद को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाने की खबर सोशल मीडिया में गुरुवार की रात से चली। शुक्रवार को हालात ये हो गए कि आने वाले हर फोन में सिर्फ यही पूछा जा रहा था कि क्या प्रहलाद प्रदेश अध्यक्ष बन गए। प्रहलाद सहित पार्टी का हर नेता और पत्रकार जवाब दे देकर परेशान। गलती अपने मीडिया जगत के सूरमाओं की ही है। उन्होंने ही यह खबर ब्रेक की। ठीक है राजनीतिक खबरें संभावनाओं पर आधारित होती हैं लेकिन इतना भी नहीं की डिसीजन ही सुना दिया जाए। दिल्ली से अचानक भोपाल आए भाजपा के पांच वरिष्ठ नेताओं की रात में सीएम हाउस में हुई बैठक के बाद प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की खबरों को बल मिला। इसके बाद भी नेताओं के आपस में मिलने का सिलसिला जारी है। कैलाश विजयवर्गीय दूसरी बार दिल्ली से भोपाल आए और रात में बैठक की। इस आधार पर यह अटकलें तो ठीक हैं कि भाजपा में बदलाव की कवायद चल रही है लेकिन प्रहलाद को अध्यक्ष बनाकर वीडी की नींद उड़ाना सरासर गलत है।
दिग्विजय के आरोपों पर भाजपा नेताओं की मुहर
कई राजनीतिक उलटफेर के बाद बुंदेलखंड में सागर ही ऐसा था, जो भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित माना जा रहा था, लेकिन वहां के नेताओं की ताजा लड़ाई ने समूची भाजपा को हिला कर रख दिया है। पहली बार सागर के सभी कद्दावर नेता, मंत्री, विधायक, महापौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मुखर हैं। उन्हें आतंक का पर्याय माना जा रहा है। राजनीति का कमाल देखिए पिछले दिनों गढ़ाकोटा के एक कार्यक्रम में भूपेंद्र सिंह ने गोपाल भार्गव की जमकर तारीफ की थी और आज भार्गव को भी भूपेंद्र के खिलाफ लड़ाई में साथ खड़ा होना पड़ा। साफ है कि बाहर एकता का प्रदर्शन हो रहा था लेकिन अंदरखाने असंतोष भभक रहा था। हालांकि गोपाल भार्गव ने एक वीडियो बयान जारी कर पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। भूपेंद्र पर भाजपा नेता जो आरोप लगा रहे हैं, खुरई पहुंच कर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने भी यही कहा था। इस तरह भाजपा नेताओं ने ही दिग्विजय के आरोपों पर मुहर लगा दी। भाजपा नेताओं के बीच की यह लड़ाई नई नहीं है। संत रविदास जयंती पर सागर पहुंचे मुख्यमंत्री चौहान ने भूपेंद्र-गोविंद सिंह राजपूत को साथ बैठा कर समझौता कराने की कोशिश की थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। बात इतनी बढ़ गई कि सागर के अधिकांश नेता भूपेंद्र के खिलाफ हो गए।
लीजिए! मप्र में भी हो गई बजरंग बली की एंट्री
कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बजरंग बली अपनी भूमिका निभाएंगे। फर्क यह है कि कर्नाटक में भाजपा ने बजरंग दल पर वैन की घोषणा को बजरंग बली के अपमान से जोड़ दिया था, जबकि मप्र में कमलनाथ खुद को सबसे बड़ा हनुमान भक्त साबित करने की कोशिश में हैं। कर्नाटक को लेकर बजरंग दल और भाजपा ने देश भर में हनुमान चालीसा का पाठ किया था और भाजपा के नेता बजरंग बली का जयकारा लगवा कर प्रचार कर रहे थे। मप्र में कमलनाथ को बजरंग सेना का साथ मिला है। बजरंग सेना ने एलान किया है कि वह कांग्रेस के समर्थन में बड़ी भगवा रैली निकालेगी। बाद में ये रैलियां प्रदेश के हर शहर में निकाली जाएंगी। अर्थात कमलनाथ भाजपा को उसी की शैली में जवाब देने की कोशिश में हैं। कनार्टक में भाजपा को बजरंग बली का साथ नहीं मिला, उसे बुरी पराजय मिली। मप्र में बजरंग बली की कृपा किस पर बरसती है, यह देखने लायक होगा। कमलनाथ भाजपा के हिंदू-मुस्लिम कार्ड से सतर्क हैं और ऐसा कोई काम नहीं करेंगे कि भाजपा को मौका मिले। मप्र में विधानसभा चुनाव 6 माह बाद हैं। दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस ने अपनी तरकश से चुनावी तीर निकाल निए हैं। ‘तू डाल डाल, मैं पात पात’ की तर्ज पर चल रहीं राजनीतिक चाल का बजरंग बली भी हिस्सा बन गए हैं।
ओमकार मरकाम से सीखिए, कैसे लूटते हैं वाहवाही....
राजनीति में छोटे से बड़े स्तर तक किसी काम अथवा कार्यक्रम का श्रेय लेने की होड़ लगी रहती है। यह कला किसी को सीखनी है तो कांग्रेस के आदिवासी विधायक ओमकार सिंह मरकाम से संपर्क करिए। डिंडोरी जिले के एक कार्यक्रम में ओमकार ने कुछ ऐसा ही करिश्मा किया। आयोजन लाड़ली बहना योजना को लेकर सरकारी था। इसमें राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। क्षेत्रीय विधायक होने के नाते इसमें ओमकार सिंह को भी बुलाया गया था। जैसा आमतौर पर होता है, समयाभाव के कारण विपक्ष के इस विधायक को कार्यक्रम को संबोधित करने की अनुमति नहीं मिली। ओमकार ने तत्काल एक प्लान पर काम किया। उन्हें पता चला कि कार्यक्रम में आने वाले लोगों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। ओमकार ने आनन-फानन अपनी टीम को सक्रिय किया और कढ़ी-चावल बनाने का निर्देश दिया। कार्यक्रम खत्म होने से पहले ही रास्ते में लोगों के लिए ओमकार की तरफ से कढ़ी-चावल के बैनर लग गए। कढ़ी-चावल इतनी मात्रा में तैयार हुई कि भूखे लोगों ने भरपेट खाकर अपनी भूख शांत की। इस तरह ओमकार ने कार्यक्रम को संबोधित भी नहीं किया और उसका पूरा श्रेय भी लूट लिया। दलीय आलोचना से अलग हटकर यह कला हर नेता को आना चाहिए। ----------