उज्जैन नगर की प्यास बुझाने का सार्थक प्रयास
संदीप कुलश्रेष्ठ
2250 एमसीएफटी क्षमता वाले उज्जैन के प्रमुख जल स्त्रोत गंभीर डेम उज्जैन की प्यास बुझाने के लिए 1991 में बनाया गया था। किन्तु तालाब में गाद और मिट्टी के भराव से उसकी जल भरण क्षमता बहुत कम हो गई थी। उज्जैन के जनप्रतिनिधियों, नगर निगम और जिला प्रशासन के सहयोग से उज्जैन नगर की प्यास बुझाने का सार्थक प्रयास 27 मई से शुरू हुआ।
उच्च शिक्षा मंत्री और महापौर ने जेसीबी चलाकर की शुरूआत -
गंभीर बाँध की गाद सफाई और गहरीकरण कार्य की श्ुरूआत उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और महापौर श्री मुकेश टटवाल ने जेसीबी चलाकर की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री और विधायक श्री पारस जैन, उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्री श्याम बंसल, नगर निगम आयुक्त श्री रोशन सिंह और अन्य जनप्रतिधि उपस्थित थे। इन्होंने आंरभ में गंभीर बाँध स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर में पूजन कर विधिवत शुभारंभ किया।
एक दिन छोड़कर जलप्रदाय -
फिलहाल उज्जैन में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय किया जा रहा है। पूरा उज्जैन शहर इस गंभीर बाँध के ही भरोसे है। यहाँ फिलहाल लगभग 50 दिन का ही पानी शेष है। यूं तो गंभीर बाँध की क्षमता 2250 एमसीएफटी की है, किन्तु तालाब में अत्यधिक गाद भराई के कारण इसकी जल भरण क्षमता बहुत कम हो गई। इस कारण भी गाद सफाई और गहरीकरण किया जाना जरूरी था।
14 साल पहले हुआ था गहरीकरण -
इस गंभीर बाँध के बनने के बाद से पहली बार 2009 में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बाँध के गहरीकरण के काम की शुरूआत की थी। उस समय उज्जैन भयंकर जलसंकट के दौर से गुजर रहा था। गंभीर डेम पूरी तरह सूख गया था। जन सहयोग से आरंभ गहरीकरण कार्य के सार्थक परिणाम भी देखने को मिले थे। बाँध की गाद सफाई और गहरीकरण के बाद कुछ वर्ष तक बाँध के भरने के बाद जल संकट का दौर लगभग समाप्त हो गया था। किन्तु 14 साल बाद फिर गाद की भराई से गहरीकरण कार्य किया जाना अत्यन्त आावश्यक था।
जन सहयोग से गहरीकरण -
गंभीर बाँध की गाद सफाई और गहरीकरण का कार्य जन सहयोग से किया जा रहा है। जन सहयोग से जेसीबी आदि मशीन लगाकर कार्य की शुरूआत की गई है। आगामी समय में उसके सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे।
बारिश शुरू होने के पूर्व तक लगातार काम जरूरी -
शहर की प्यास बुझाने वाले गंभीर बाँध के गहरीकरण के कार्य की सराहना की जानी चाहिए। किन्तु यहाँ जरूरी यह भी है कि इस कार्य में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाआेंं, समाजसेवी संगठनों, पंचायतों, किसानों, छात्र-छात्राओं आदि का सहयोग लिया जाए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि कलेक्टर उक्त सभी संगठनों और संस्थाओं की बैठक लेकर प्रतिदिन गहरीकरण कार्य की सुनिश्चित कार्ययोजना तैयार करें। किसानों से यह भी अनुरोध किया जाना चाहिए कि वे अपने-अपने ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर आएं और बाँध गहरीकरण में निकली मिटृटी को ले जाकर अपने खेतों में डालें। इससे दोहरा लाभ होगा। जहाँ एक ओर गंभीर बाँध का गहरीकरण हो सकेगा, वहीं दूसरी और किसानों के खेतों को उपजाऊ मिट्टी मिल सकेगी। बस जरूरत इस बात की है कि तेज बारिश होने तक इस अभियान पर एक दिन भी रोक नहीं लग पाए। यह अभियान लगातार तब तक चलता रहे जब तक तेज बारिश का पानी तालाब में आना शुरू नहीं हो जाए, तभी इसके सार्थक परिणाम देखने को मिल सकेंगें।
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