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दो साल बाद भी उज्जैन का मेडिकल कॉलेज भवन अधर में !


डॉ. चन्दर सोनाने
                                  प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 मई 2021 को उज्जैन में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने उज्जैन के मेडिकल कॉलेज के साथ ही सीहोर जिले के बुधनी में भी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। दोनों कॉलेज में एमबीबीएस की 100-100 सीटें रहने की भी घोषणा की गई थी। इन दोनों मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर लगभग 884 करोड़ रूपए की सैद्धांतिक स्वीकृति भी दी गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने 28 जून 2022 को कैबिनेट की बैठक में भी उज्जैन के मेडिकल कॉलेज को स्वीकृति दे दी थी। इसके साथ ही उज्जैन सहित 6 जिलों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 350 करोड़ रूपए भी स्वीकृत किए गए थे। उज्जैन के नगर निगम चुनाव के दौरान भी मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि मैं खाली हाथ नहीं आया हूँ। मेडिकल कॉलेज साथ लाया हूँ। 
                                   इसी बीच सन 2025 तक प्रारंभ होने वाले 6 नए मेडिकल कॉलेजों नीमच, राजगढ़, श्योपुर, शिवपुरी, मंडला, सिंगरौली की मान्यता के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग नेशनल मेडिकल कांउसिल को आवेदन करने जा रहा है। उनमें भी उज्जैन के मेडिकल कॉजेल का नाम नहीं है। इसका अर्थ यह भी है कि सन् 2025 तक भी उज्जैन का मेडिकल कॉलेज प्रारंभ नहीं हो सकेगा। 
                                इस बीच 26 मई को आयोजित एक बैठक में इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर मेडिकल कॉलेज के लिए सहमति बनने के समाचार प्रकाशित हुए है। उसके अनुसार उस बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, विधायक श्री पारस जैन, महापौर श्री मुकेश टटवाल, उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्री श्याम बंसल आदि जनप्रतिनिधियों ने इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर मेडिकल कॉलेज बनाने की अपनी सहमति दी है। उस बैठक में इस संबंध में आगामी कार्रवाई करने के लिए बैठक में उपस्थित कलेक्टर से कहा गया। 
                                  उल्लेखनीय है कि पिछले 2 साल से उज्जैन में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति होने के बावजूद भी जनप्रतिनिधियों के बीच में खींचतान होने के कारण स्थान तय नहीं हो पाया। पहले आगर रोड पर जमीन देखी गई, फिर हरिफाटक रोड पर, फिर कवेलू कारखाने की जमीन पर, फिर इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस में जमीन देखी गई। उसके बाद फिर तराना-कानीपुरा रोड पर और उसके बाद फिर श्रीराम जानकी मंदिर की सरकारी जमीन पर इंजीनियरिंग कॉलेज भवन बनाने के बारे में बातचीत की गई। इस बीच आगर रोड स्थित चरक अस्पताल के पास खाली पड़ी जीनिंग फैक्ट्री की जमीन का प्रस्ताव तय हुआ और फिर धनवंतरी आयुर्वेदिक महाविद्यालय से लगी हुई जमीन पर गर्वमेंन्ट मेडिकल कॉलेज बनाने का भी प्रस्ताव पर चर्चा हुई। अब फिर 26 मई को आयोजित एक बैठक में जनप्रतिनिधियों के बीच इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर कॉलेज बनाने के लिए सहमति बनी है। 
                                  यहाँ आश्चर्यजनक बात यह है कि जब इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर मेडिकल कॉलेज बनाने के बारे में चर्चा की जा रही थी, उस समय इंजीनियरिंग कॉलेज का कोई भी व्यक्ति बैठक में मौजूद नहीं था। इस बीच यह भी पता चला है कि इसी वर्ष फरवरी माह में इंजीनियरिंग कॉलेज की बोर्ड ऑफ गर्वनर की बैठक में इंजीनियरिंग कॉलेज की खाली जमीन पर करीब 20 करोड़ रूपए की लागत से विभिन्न निर्माण कार्यों की मंजूरी दे दी गई है । उस समय उस बैठक की अध्यक्षता विभागीय तकनीकी शिक्षा मंत्री सुश्री यशोधरा राजे सिंधिया द्वारा की गई थी। जिन प्रमुख निर्माण कार्यां की स्वीकृति दी गई है उनमें अनेक विभागों के विस्तार के लिए भवन, एक नए विभाग के लिए नया भवन, ऑडिटोरियम, होस्टल आदि बनाये जाने वाले हैं। इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जे.के श्रीवास्तव का इस संबंध में यह स्पष्ट कहना है कि इंजीनियरिंग कॉलेज की भूमि पर मेडिकल कॉलेज बनाने के संबध में उन्हें कोई ऑफिशियल सूचना या जानकारी प्राप्त ही नहीं हुई है। उनका यह भी कहना है कि इंजीनियरिंग कॉलेज की खाली जमीन पर आगामी 30 साल में जो निर्माण कार्य किए जाने है उसकी विभागीय स्तर पर योजना बनाई जा रही है और उसकी प्लानिंग की एजेंसी तय करने की निविदा भी निकाल दी गई है। आगामी 30 साल की योजनाओं में चरणबद्ध तरीके से विश्रामगृह, मैकेनिकल, इलेक्ट्रीकल, इलेक्ट्रॅानिक्स और कम्प्यूटर साइंस डिपार्टमेंट भवन, 100-100 बिस्तर वाले 7 छात्रावास, टिंकरिंग लैब, इन्क्यूवेशन सेंटर, मॉडल इंडस्ट्रीयल शेड, रिसर्च लैब, 1500 बैठक क्षमता वाले सभागार का निर्माण कार्य किया जायेगा। 
                                 ऐसे हालातों में एक बार फिर ऐसा लगता है कि मेडिकल कॉलेज का भवन अधर में लटक जायेगा। यदि मेडिकल कॉलेज जल्दी से जल्दी उज्जैन में शुरू होता है तो उज्जैन ही नहीं आसपास के जिलों के लोगों को भी खिफायती दर पर गंभीर रोगियों को इलाज मिल सकेगा। यहीं नही गंभीर मरीज को इंदौर रैफर करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इस बीच साहित्यिक संस्था सरल काव्यांजलि के अध्यक्ष श्री संतोष सुबेकर ने उज्जैन में जल्दी मेडिकल कॉलेज खुले इसके लिए 20 से अधिक बार मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। यहीं नहीं उज्जैन के 7वीं कक्षा के 12 वर्षीय एक छात्र मधुरम मनावत ने भी उज्जैन में जल्दी से मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए अपने मामा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। 
                                 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दो वर्ष पूर्व प्रदेश के जिन 6 मेडिकल कॉलेजों की सौगात दी थी, उनमें उज्जैन को छोड़कर शेष पाँच स्थानों बुधनी, नीमच, मंदसौर, राजगढ़ और सिंगरौली में न केवल भवन के लिए स्थान तय हो गया है, बल्कि निर्माण कार्य भी श्ुरू हो गया है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन ही अभी तक इस सुविधा से वंचित है। प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध है कि वे अपने स्तर से ही पहल कर स्थान तय कर दें, ताकि शीघ्र मेडिकल कॉलेज बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके। 
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