भारत ने यूरोप को रोजाना 5 करोड़ लीटर ऑयल बेचा
रूस-यूक्रेन जंग के बाद दुनिया में भारत का किरदार बदल गया है। 2022 में चीन के बाद भारत ऑयल खरीदने के मामले में दूसरे नंबर पर था। अब एक साल बाद यूरोप को ऑयल बेचने के मामले में भारत ने सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत रोजाना साढ़े 3 लाख बैरल से ज्यादा यानी करीब 5.5 करोड़ लीटर ऑयल यूरोप को एक्सपोर्ट कर रहा है।
भारत और चीन जैसे देश दूसरे देशों से क्रूड ऑयल खरीदकर उसे रिफाइन करते हैं। भारत में ऑयल रिफाइंड करना बेहद सस्ता है। रिलायंस, BPCL और IOCL जैसी बड़ी कंपनियां ऑयल रिफाइन करने का काम करती हैं।
चीन, भारत, सिंगापुर और UAE जैसे देशों को 'लौंड्रोमैट कंट्री' कहा जाता है। 'लौंड्रोमैट' का मतलब वॉशिंग मशीन, यानी जो देश ऑयल की गंदगी को साफ करते हैं। पाबंदी लगाए जाने के बाद रूस से चीन, भारत, सिंगापुर, UAE और तुर्की के ऑयल आयात में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
IIFL सिक्योरिटीज में कमोडिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता का मानना है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े ऑयल रिफाइनिंग देशों में शामिल है। इस समय यूरोपीय देशों को ऑयल बेचकर भारत 3 तरह से फायदा उठा रहा है...
1. भारत की रिफाइनरी क्षमता इसकी घरेलू मांग से ज्यादा है। ऐसे में यूरोप को ऑयल बेचकर भारतीय रिफाइनरी कंपनियां बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं।
2. भारत के पास एक महीने से ज्यादा ऑयल को रिजर्व करने की क्षमता नहीं है। ऐसे में रूस से जो ज्यादा क्रूड ऑयल मिल रहा है, उसे भारतीय रिफाइनरियां तेजी से यूरोप को सप्लाई करने को मजबूर हैं। जिससे मुनाफा भी बढ़ रहा है।
3. कम कीमत में क्रूड ऑयल मिलने से भारतीय कंपनियों का रिफाइनिंग मार्जिन भी बढ़ा है।