'कैरियर' नहीं, 'टारगेट' पर करें फोकस : प्रो.द्विवेदी आईआईएमसी के महानिदेशक ने युवाओं को दिया सफलता का मंत्र शहीद भगत सिंह सांध्य कॉलेज के 51वें वार्षिक दिवस समारोह का आयोजन
नई दिल्ली। "कैरियर तो 25 साल में आप डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, वकील, अधिकारी या शिक्षक बनकर पूरा कर लेते हैं, लेकिन टारगेट पूरे करने में जिंदगी लग जाती है। आपका टारगेट है अपने देश और उसके लोगों की सेवा, उनकी जिंदगी को खुशहाल बनाना, उन्हें सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाना और देश को सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाना। यह तभी संभव है, जब हम भारत को जानें, भारत को मानें, भारत के बनें और भारत को बनाएं।" यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने शहीद भगत सिंह सांध्य कॉलेज के 51वें वार्षिक दिवस समारोह एवं पुरस्कर वितरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष श्री फिरोज खान, दूरदर्शन के वरिष्ठ पत्रकार श्री नागेश्वर प्रसाद एवं कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार अत्री भी उपस्थित रहे।
समारोह को मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि जीवन में हर किसी का एक लक्ष्य होता है और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वह हरसंभव कोशिश करता है। उन्होंने कहा कि सफलता मेहनत से मिलती है, इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। शॉर्टकट के बल पर हासिल की गई सफलता कुछ समय के लिए ही टिकती है।
आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार आजादी के तुरंत बाद भारतबोध की जो बात हमें करनी चाहिए थी, वो हमें 70 साल बाद करनी पड़ रही है। हमारा टारगेट होना चाहिए कि हम 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के सपने को साकार करने के लिए जमकर मेहनत करें। प्रो. द्विवेदी के अनुसार सफलता का रास्ता मुश्किलों भरा और लंबा होता है, लेकिन सफलता का एहसास इस रास्ते की सारी तकलीफें भुलाने के लिए काफी होता है। अमृतकाल में जब हमारा सपना साकार होगा, तब हम अपनी सारी तकलीफें भूल जाएंगे।
कार्यक्रम के दौरान कॉलेज की यात्रा को सांस्कृतिक प्रस्तुति के माध्यम से दिखाया गया। समारोह के संयोजक प्रो. सी. एस. दुबे ने अतिथियों का स्वागत किया और प्राचार्य प्रो. अत्री ने कॉलेज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए वार्षिक प्रतिवेदन पढ़कर सुनाया। पुरस्कार वितरण समारोह के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रोफेसर ओएस देओल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।