सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति के साथ पुल-मेट्रो स्टेशन-चौराहे का नाम भी चाहिए
कीर्ति राणा,वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर। राजपूतों का तो इतिहास रहा है अपना हक, संघर्ष कर के लिया और दूसरों को न्याय दिलाने के लिए भी उत्सर्ग किया।निरंजनपुर चौराहा के नामकरण को लेकर एक बार फिर राजपूत समाज इसलिए एकजुट है ताकि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम से स्वीकृत यह चौराहा किसी अन्य के नाम अलॉट ना कर दिया जाए।चौराहे पर बोर्ड भी लगा दिया है।यहां पहले हरिसिंह नलवा चौराहे के बैनर भी लग चुके हैं।
प्राधिकरण अध्यक्ष रहते 2008 में मधु वर्मा ने इस चौराहा पर सम्राट पृथ्वीराज की 24 सौ किलो वजनी प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव भी पारित कर दिया था।महापौर मालिनी गौड़, सभापति अजय सिंह नरुका के वक्त 2017 में परिषद ने भी चौराहे का नामकरण सम्राट के नाम से प्रस्ताव पारित कर दिया था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 16 मई को सम्राट पृथ्वीराज सिंह चौहान की जयंती पर इस चौराहे पर रैली व अन्य कार्यक्रम प्रस्तावित है।
इस चौराहे का नामकरण सम्राट के नाम पर किए जाने की आम सहमति बनने के चलते अचानक यहां सरदार हरि सिंह नलवा चौराहा के बैनर लगाए जाने के बाद से समाज उद्वेलित है।भाजपा नगर अध्यक्ष, क्षेत्रीय विधायक सहित भाजपा नेताओं, प्राधिकरण अध्यक्ष, वर्तमान महापौर भी दस्तावेज देख कर निरुत्तर हैं लेकिन विवाद को टालें कैसे ?
राजपूत समाज का दावा सही भी है कि चौराहा नामकरण, मूर्ति के साथ, प्रस्तावित पुल और मेट्रो स्टेशन भी सम्राट के नाम पर हो।बेतुका सुझाव आया था कि मूर्ति सम्राट की लग जाए नाम नलवा का कर देंगे।यह वैसा ही होगा कि प्रतिमा नेहरू की लगे और चौराहा गांधी के नाम हो।समाज का कहना है सेनापति नलवा का सम्मान भी बरकरार रहे इस लिहाज से लसूड़िया चौराहा उनके नाम कर दें।
राजपूत समाज को चौराहा-मूर्ति आदि के लिए दूसरी बार मैदान पकड़ना पड़ेगा। इससे पहले छत्रसाल चौराहा और उनकी प्रतिमा स्थापना के वक्त भी ऐसे ही हालात बने थे। तब यहां माधवराव सिंधिया की प्रतिमा लगाने की तैयारी की जा रही थी। समाज ने सारे दस्तावेज दिखाए तब कहीं यह अभियान रुका और माधवराव की प्रतिमा के लिए बंगाली चौराहे का चयन किया गया था।
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