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बात यहां से शुरू करते हैं... मंत्री का टिकट और मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी


राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी
अरविंद तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार

प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री से उन्हीं के क्षेत्र में टिकट की दावेदारी कर रहे एक भाजपा नेता ने जब कहा कि यदि तीन-चार टर्म वाले विधायकों को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो फिर आपकी उम्मीदवारी भी खतरे में पड़ जाएगी। मंत्री ने जो जवाब दिया उसे सुनकर आप भी चौंक पड़ेंगे। उन्होंने कहा यदि मेरा टिकट कटा तो फिर शिवराज जी का टिकट भी खतरे में पड़ जाएगा, क्योंकि वे तो मुझसे ज्यादा बार विधायक रह चुके हैं। जवाब सुनने के बाद नेताजी चुप हो गए और मंत्रीजी ठहाका लगाते हुए बोले... ठीक रहा न अपना दाव। 

चर्चा बस एक ही, सिंधिया भारी हो रहे हैं या कमजोर

भाजपा में या यूं कहें कि कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं में एक चर्चा जोर पकड़े हुए है। दरअसल ये नेता समझ नहीं पा रहे हैं कि पार्टी में उनके नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद घट रहा है या बढ़ रहा है। प्रदेश में ग्वालियर-चंबल संभाग में जिस तरह से बड़े नेताओं के इशारे पर सिंधिया की टांग खिंचाई शुरू हो गई है और मालवा-निमाड़ में जिस अंदाज में उनके दौरे नियंत्रित किए गए हैं, उससे चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसे पार्टी में उनके कम होते वजन का संकेत बताया जा रहा है। सिंधिया समर्थकों के लिए संतोष की बात यह है कि दिल्ली में उनके नेता का वजन बरकरार है, क्योंकि भाजपा के माईक-वन और टू यानि नरेंद्र मोदी और अमित शाह उन्हें बहुत पसंद करते हैं। 

सुहास भगत-हितानंद का तालमेल, भविष्य की भूमिका से जुड़ा मामला

सुहास भगत के संगठन महामंत्री रहते हुए जो नेता सत्ता, संगठन या निगम मंडल में महत्वपूर्ण दायित्व पाने में सफल रहे थे, वे अभी भी उतने ही निश्चिंत हैं, जितने भगत के कार्यकाल में थे। सवाल खड़ा होता है कि आखिर ऐसा क्यों? जवाब भाजपा के प्रदेश कार्यालय से ही मिल जाता है कि जब तक भगत के प्रियपात्र हितानंद संगठन महामंत्री की भूमिका में हैं इनकी बल्ले-बल्ले ही है। भगत और हितानंद का तालमेल आज भी वैसा ही है, जो भगत के संगठन महामंत्री रहते हुए था। वैसे इस तालमेल का एक बड़ा कारण सुहास भगत की संघ में भविष्य की भूमिका को भी माना जा रहा है। 

लोक से लुभाते शिवराज, चुनाव बदला देते हैं प्राथमिकता

महाकाल लोक की सफलता के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दतिया में पिताम्बरा लोक बनाने की घोषणा कर दी है। इसके पहले वे महेश्वर में अहिल्या लोक बनाने की बात कह चुके हैं। लोक से लुभावने का मामा का यह अलग अंदाज है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शिवराज अधूरे रामपथ गमन पथ को भूल गए हैं, प्रदूषित नदियों को साफ करवाने में उनकी कोई रुचि नहीं है या नर्मदा किनारे पौधा रोपण उनके एजेंडे से बाहर हो गया। दरअसल यह जैसा देश, वैसा भेष जैसी बात है। अभी चुनाव सामने हैं और जिस फार्मूले से ज्यादा वोट मिल सकते हैं, वही शिवराज की प्राथमिकता हो जाता है। 

उम्र का यह मुकाम और बेटे का टिकट

उम्र के इस मुकाम पर भी अभी पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन राऊ विधानसभा क्षेत्र के गांव में बेटे मिलिंद महाजन को लेकर पहुंच रही हैं तो सब समझ आ रहा है। ‌मिलिंद को राऊ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट का दावेदार माना जा रहा है और सुमित्रा जी का गांव-गांव दस्तक देना बेटे के लिए आधार तैयार करने की कवायद ही है। इस विधानसभा क्षेत्र का शहरी क्षेत्र किसी भी महाराष्ट्रीयन उम्मीदवार के लिए बहुत मुफीद माना जाता है। ‌ वैसे मधु वर्मा और जीतू जिराती जैसे मजबूत दावेदारों से हटकर पार्टी मिलिंद पर कितना भरोसा करती है यह तो वक्त ही बताएगा। 

तो मुंह काला करना और गधे पर बैठाकर जुलूस निकाल देना

कांग्रेस को फिर सत्ता में लाने के लिए दिग्विजय सिंह प्रदेश के दौरे पर निकल चुके हैं और इस बार उनके साथ रामेश्वर नीखरा हैं। 2018 के चुनाव के पहले भी दिग्विजय सिंह ने इसी तरह प्रदेश की परिक्रमा की थी और तब उनके साथ महेश जोशी हुआ करते थे। दिग्विजय का फोकस अभी उन सीटों पर है, जहां कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है। अब जरा दिग्विजय का अंदाज देखिए... जावद में उन्होंने कांग्रेस के टिकट के दो मजबूत दावेदार सत्यनारायण पाटीदार और राजकुमार अहीर के हाथ में माईक पकड़वाया और कहलवा दिया कि जिसे भी पार्टी का टिकट मिलेगा हम उसके लिए ईमानदारी से काम करेंगे और निर्दलीय चुनाव तो बिल्कुल नहीं लड़ेंगे। पाटीदार तो अहीर से एक कदम आगे निकले और बोले यदि मैं ऐसा करूं तो मेरा काला मुंह करके गधे पर बैठाकर जुलूस निकाल देना। इसे कहते हैं राजा का दिग्विजय दाव। 

कौन होगा इंदौर का नया संभागायुक्त

आईएएस अफसरों की तबादला सूची जल्दी ही आने वाली है। तय है कि इस सूची में इंदौर के संभागायुक्त पवन शर्मा का नाम रहेगा ही, क्योंकि वे इस पद पर तीन साल पूरे कर चुके हैं। शर्मा का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसको लेकर भी खुसर-फुसर शुरू हो गई है। इस सूची में कई नाम हैं, लेकिन सबसे मजबूत दावेदार राज्य कर आयुक्त और इंदौर के पूर्व कलेक्टर लोकेश जाटव और जनसंपर्क आयुक्त रह चुके सुदाम खांडे को माना जा रहा है। यह भी तय है कि शर्मा भोपाल में किसी बड़े विभाग की कमान संभालेंगे। देखते हैं ये फेरबदल कब आकार लेता है। 

चलते-चलते

जैसे-जैसे सेवानिवृत्ति का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे पुलिस मुख्यालय की दो महत्वपूर्ण शाखाओं में पदस्थ एडीजी रैंक के दो अफसरों की घेराबंदी में उन्हीं के कुछ मातहत कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। पता करिए ये दो अफसर कौन हैं? वैसे इन दोनों का फील्ड पोस्टिंग का लंबा रिकार्ड है। 

पुछल्ला
जिस दिन इंदौर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला ने मरीमाता चौराहे पर कन्हैया मित्तल की भजन संध्या आयोजित की उसी दिन उनके भाई कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने अपने यहां पोता होने की खुशी में ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में कॉकटेल पार्टी दे डाली। है न विचित्र संयोग। 

अब बात मीडिया की

दैनिक भास्कर इंदौर में जल्दी ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। यह बहुप्रतीक्षित बदलाव यहां के रिपोर्टर्स की बीट में बदलाव के रूप में होगा। सालों से एक ही बीट पर काम कर रहे रिपोर्टर्स इस बदलाव में प्रभावित हो सकते हैं। 

वरिष्ठ पत्रकार लीथा थम्पी फिर से टीम टाइम्स ऑफ इंडिया का हिस्सा हो गई हैं। वे पहले भी सालों तक इस अखबार में सेवाएं दे चुकी हैं। वरिष्ठ पेज डिजाइनर दयाल वर्मा अब पुन: टीम प्रजातंत्र का हिस्सा हो गए हैं। इस बीच कई वे कई अखबारों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। साप्ताहिक सद्भावना पाती अब दैनिक अखबार हो गया है। कहने को तो डॉ. देवेन्द्र मालवीय इसके सर्वेसर्वा हैं, लेकिन पर्दे के पीछे वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मीकांत पंडित अहम भूमिका में रहेंगे।

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