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प्रधानमंत्री मोदी काशी तेलुगु संगम को वर्चुअली संबोधित करेंगे


वाराणसी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में होने वाली काशी तेलुगु संगम-गंगा पुष्कर आराधना को वर्चुअली संबोधित करेंगे। गंगा पुष्कर कुंभ 22 अप्रैल से शुरू होकर तीन मई तक चलेगा। 12 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री अपने पूर्वजों की पूजा करने के लिए काशी जा रहे हैं। यह पर्व प्रत्येक 12 वर्ष बाद मनाया जाता है। काशी-तमिल संगम के बाद वाराणसी में हाल के दिनों में आयोजित होने वाला यह दूसरा आयोजन है।

इस दौरान दक्षिण भारतीय समाज के लोग पूजा अर्चना, पूर्वजों का तर्पण, स्मृति लिंग स्थापित करने और पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए काशी पहुंचने लगे हैं। पिछले तीन दिनों से दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है। आयोजन में सबसे अधिक श्रद्धालु आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से पहुंच रहे हैं। उत्तरवाहिनी गंगा का किनारा फिर से उत्तर और दक्षिण की संस्कृति के मिलन का साक्षी बनेगा। बृहस्पति के राशि परिवर्तन के साथ ही 12 साल बाद गंगा के तट पर गंगा पुष्कर कुंभ शनिवार से आरंभ हो गया है। अस्सी से लेकर राजघाट के बीच सभी 84 घाटों पर दक्षिण भारतीय श्रद्धालु अपने पूर्वजों के निमित्त, पाप से मुक्ति व सौभाग्य की कामना से अनुष्ठान कर रहे हैं।  इस दौरान दक्षिण भारतीय समाज के लोग पूजा अर्चना, पूर्वजों का तर्पण, स्मृति लिंग स्थापित करने और पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए काशी पहुंचने लगे हैं। इस बार गंगा पुष्कर कुंभ गंगा नदी के किनारे लग रहा है। ऐसे में गंगोत्री से गंगा सागर तक जिन-जिन शहरों में गंगा हैं वहां पर श्रद्धालु पहुंचेंगे। इसके पूर्व 2011 में गंगा पुष्कर कुंभ हुआ था। इस बार 10 से 12 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। अस्सी घाट से लेकर हनुमान घाट के बीच श्रद्धालुओं के पुरोहित द्वारा जगह-जगह पार्थिव शिवलिंग बनाकर रुद्राभिषेक व पूजन आरंभ हो चुका है। दक्षिण भारत के श्रद्धालु अन्नदान भी करेंगे। मान्यता के अनुसार, पुष्कर नाम के एक भक्त ने भगवान शिव से पवित्र नदियों को शुद्ध करने का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने 12 पवित्र नदियों में प्रवेश किया। इन नदियों में गंगा, नर्मदा, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, भीमा, ताप्ती, तुंगभद्रा, सिंधु और प्राणिता शामिल हैं।

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