सुप्रीमकोर्ट जजों की नियुक्ति मे केंद्र के अड़ंगे..!
श्री श्रीप्रकाश दीक्षित , वरिष्ठ पत्रकार
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति पर आदेश ना निकालने के मामले में केंद्र को चेतावनी दी है.ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है,बल्कि मोदीजी के राज में अक्सर यह होता रहता है.छह सात साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए दो टूक शब्दों में कहा था की वह अदालतों को ठप्प करने से बाज आए वरना हमें जजों की नियुक्ति के लिए न्यायिक आदेश देना पड़ेगा.तब कालेजियम द्वारा अनुशंसित 75 नामों की सूची आठ महीने से सरकार के पास लंबित थी. न्यायिक नियुक्ति आयोग बना दरबारी जजों की नियुक्ति में विफल होने से खिसियाई मोदी सरकार आदेश नहीं निकाल रही थी.इन दिनों कानून मंत्री किरण रिज्जू देश की बड़ी अदालतों को ज्ञान देने में व्यस्त हैं.साप्ताहिक पांचजन्य और इंडिया टुडे के आयोजनों में वे बोले की आजकल तो न्यायाधीश फैसले देने के बजाए आधा समय अपनी नियुक्ति के काम में ही गुजार देते हैं.
कानून मंत्री जजों को समझाते हुए बोले की उनका पहला काम न्याय देना है.जजों की नियुक्ति वाले कालेजियम सिस्टम को अपारदर्शी करार देते हुए वे बोले की दुनिया में और कहीं जजों की नियुक्ति ऐसे नहीं की जाती है.संविधान भी कहता है की नियुक्ति का काम सरकार का है.फिर वे यह भी बोल गए की देश की जनता नेताओं की राजनीति को तो खूब देखती रहती है पर जजों की नियुक्तियों से अनजान रहती है.! उन्होंने यह भी फरमाया की सुप्रीम कोर्ट में अंग्रेजी जानने वाले 40-50 वकीलों ने एकाधिकार जमा रखा है.जाहिर है रिज्जू जैसा मंत्री न्यायपालिका को पाठ पढ़ाने का दुस्साहस नहीं कर सकता.उनका बयान मोदी जी की सरकार की भावनाओं को ही व्यक्त कर रहा है.
मोदीजी के पहली बार सत्ता में आने पर बड़ी अदालतों में दरबारी जजों की नियुक्ति के लिए बिल संसद से पारित कराया गया था.सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसे अवैध घोषित कर दिए जाने के बाद से मोदी सरकार खासी कुपित चल रही है.उसकी नाराजगी यदाकदा स्वर्गीय अरूण जेटली और तब के क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद आदि के बयानों में झलकती रही है.प्रसाद ने तो यहां तक कह दिया था कई हमे याने केन्द्रीय कानून मंत्रालय को महज पोस्ट आफिस ना समझा जाऐ.मतलब यह की हम कालेजियम की अनुशंसाओं पर सिर्फ आदेश निकालने के लिए नहीं बैठे हैं.
बहरहाल,रिज्जू के प्रवचनों का सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन के लोकुर ने करारा जवाब दिया है.जजों की नियुक्ति पर ज्यादा समय देने के रिज्जू के बयान पर कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा की जिनके घर शीशो के हों उन्हें दूस्र्रों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए.जस्टिस लोकुर सुप्रीम कोर्ट के उन तीन जजों में शामिल थे जिन्होंने तब के चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ मीडिया के मार्फ़त मोर्चा खोला था.
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