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अपना एमपी गज्जब है..23 बधाई आप अब वुल्फ स्टेट(भेड़िया राज्य) में हैं...


अरुण दीक्षित ,वरिष्ठ पत्रकार
                    अपना मध्यप्रदेश 66 साल का हो गया है।राज्य की स्थापना का उत्सव हर साल जोर शोर से मनाया जाता है।इस साल भी मनाया जा रहा है।यह सालाना उत्सव हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गया है। देश में चाहे कितना ही बड़ा दुख आ जाए , स्थापना उत्सव जरूर होता है।शायद यही वजह है कि पड़ोसी राज्य में सैकड़ों लोगों की नदी में डूब करने की खबर आने के बाद भी उत्सव नही रुका।मंच पर सब मिलकर नाचे।मुखिया उनके साथ थे।
 क्या फर्क पड़ता है यदि पड़ोसी के घर में बच्चों और जवानों की लाशें पड़ी हैं!हमारा राज्य 66 साल का हो गया है..हम तो नाचेंगे..
                  उत्सव चल रहा है।क्योंकि पूरे एक सप्ताह उसे चलाया है।आज उसका आखिरी दिन है।आज ही उसका शानदार समापन भी होगा।
 इस बार इस उत्सव में एक और बहुत ही खास बात हुई।खुशी में झूमती सरकार के "आंकड़ाकारों" ने प्रदेश की जनता को बताया कि टायगर स्टेट के बाद अब अपना मध्यप्रदेश "वुल्फ स्टेट" भी बन गया है। वुल्फ स्टेट बोले तो भेड़िया राज्य!भेड़ियों का राज्य भी कह सकते हैं!यह आपकी सुविधा पर निर्भर है।
 इस सरकारी उद्घोष में यह भी बताया गया है कि अब अपने एमपी में बाघ,तेंदुआ,घड़ियाल और गिद्ध देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।फिलहाल प्रदेश में भेड़ियों की कुल संख्या 772 बताई गई है।आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ेगी यह भी तय है।आखिर वुल्फ स्टेट का तमगा तो बरकरार रखना ही है।इसमें सिर्फ भेड़िए ही योगदान दे सकते हैं।
                   यह अलग बात है कि यह जानकारी किसी को नही है कि राज्य में भेड़ियों की गणना कब हुई थी!किसने कराई थी - राज्य या केंद्र सरकार ने !
 जारी किए गए पोस्टर में देश के सिर्फ 4 अन्य राज्यों का जिक्र है।ये चारो अपने एमपी के पड़ोसी - गुजरात,महाराष्ट्र,राजस्थान और छत्तीसगढ़ हैं। गुजरात में 494 महाराष्ट्र में 396 राजस्थान में 532 और छत्तीसगढ़ में 320 भेड़िए बताए गए हैं।अन्य राज्यों का कोई जिक्र नहीं है। हो सकता है कि वे राज्य "भेड़िया विहीन" हो गए हों।यह भी अच्छी ही बात है।
                   सरकारी आंकड़ाकारों का दावा यह भी है कि हिंसा का पर्याय माने जाते रहे बाघ तेंदुआ घड़ियाल और गिद्ध भी अपने एमपी में ही सबसे ज्यादा हैं!यह भी अच्छी बात ही है। आखिर सबसे ज्यादा वन भी अपने एमपी में ही हैं। एमपी को "भेड़िया राज्य" का दरजा मिलने की खबर ने अचानक यह याद दिलाया कि "भेड़ियाना" हरकतों के लिए तो अपना प्रदेश लंबे समय से देश शीर्ष पर चल रहा है!यह हरकतें दो पांव वाले भेड़िए,गिद्ध,घड़ियाल,तेंदुए और बाघ करते आए हैं। कर रहे है। महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार के मामलों में हर साल सुर्खियां बटोरता है एमपी।देश की सरकार के आंकड़ों में उसका नाम रोशन  ही रहता है। अखबारों की सुर्खियां बताती हैं कि एमपी में छोटी छोटी बच्चियों को बाघ और तेंदुए जैसी फुर्ती से पकड़ कर भेड़ियों और गिद्धों की तरह उनके जिस्म को नोचा जाता है!फिर उनकी पीड़ा पर घड़ियाली आंसू बहाए जाते हैं!औसतन हर जिले में हर रोज इस तरह की घटनाएं होती हैं।न राजधानी भोपाल इन भेड़ियों और गिद्धों से बच पाती है और न दूर के आदिवासी अंचल के गांव!बाघ तेंदुए भेड़िए और गिद्ध अपना कमाल दिखाते ही रहते हैं। और घड़ियाल..वह तो पूरी शिद्दत के साथ आंसू बहाते रहते हैं।
                       अभी यह दावा भी पढ़ने को मिला था  - एमपी में 82 बलात्कारियों को फांसी की सजा दी गई!कितने फांसी के फंदे तक पहुंचे?इस प्रश्न का कोई उत्तर नही मिलता!इसकी उचित व्यवस्था किए जाने की बजाय श्रेय लेने की होड़ मची है।इस श्रेय को चुनौती कौन देगा?इसलिए ले लो.. जितना चाहे ले लो..                                                                                                                                                                                                          वैसे एमपी में भेड़िए हर क्षेत्र में कमाल दिखा रहे हैं !
                        व्यापम हो या अवैध खनन,कुपोषित बच्चों का आहार खाए जाने का मामला हो या नर्सिंग कालेजों का फर्जीवाड़ा,जंगल काटने का मामला हो या नए बांधों और पुलों के बहने  का! भेड़ियों का खेल खुलेआम जारी है। अरे हां कुछ साल पहले तो कुछ भेड़ियों ने हाका लगाकर सरकार का भी शिकार कर लिया था।  ऐसे में भेड़िया राज्य का दरजा तो बहुत पहले मिल जाना चाहिए था। लेकिन कोई बात नही!सालों से देश में एमपी को सबसे आगे चला रहे "भेड़ियों" के कारनामों की मेहनत का आंकलन ही नही किया गया। भला हो उन आंकड़ाकारों का जिन्होंने भेड़ियों की गिनती करके एमपी को "भेड़िया राज्य" का तमगा पहना दिया।साथ ही असली "भेड़ियों" को चर्चा में ला दिया।
आखिर अपना एमपी गज्ज़ब जो है! है न ?

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