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शिवराज के हिंदी प्रेम पर हावी अंग्रेजी का दबदबा.?


श्री श्रीप्रकाश दीक्षित ,संपादक,जनहित मिशन डाट काम
                  मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा डाक्टरी की पढ़ाई हिंदी में कराने का खूब नगा ड़ा पीटा जा रहा है. यह दावा किया जा रहा है की ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य हो गया है और अगले साल से इंजीनियरिंग की पढाई भी हिंदी में होने लगेगी.उधर मुख्यमंत्री शिवराज लोंगों को संकल्प दिलाते हैं की भविष्य में वो अपना नाम अंगरेजी में नहीं लिखेंगे.पर यह कितने अफ़सोस की बात है की उनकी सरकार जब पब्लिक स्कूलों की टक्कर की पढ़ाई के लिए ढेर सारे स्कूल खोलती है तब उन्हें कान्वेंट और केम्ब्रिज जैसा अंगरेजी नाम देती है-CM RISE SCHOOL.? इसके बरअक्स जब भारत सरकार ने 1986 में पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर देश के हर जिले एक स्कूल खोलने का निर्णय किया तो उसे नाम दिया-नवोदय विद्यालय.! 
                 जहां तक मेडिकल ओर इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में करने की बात है तो इसके लिए सिर्फ मध्यप्रदेश नहीं बल्कि सभी हिंदीभाषी राज्य उत्सुक हैं.इसलिए शिवराज इसमे अग्रणी होने की निरर्थक उपलब्धि के बजाए इन राज्यों के साथ मिल कर काम करते तो बेहतर होता.कुल मिला कर ऐसे जटिल विषयों की पढ़ाई हिंदी में प्रारंभ करने के लिए व्यापक विमर्श और होमवर्क जरूरी था जो नहीं किया गया,भले दावा कुछ भी हो.
               शिवराज को शायद मालुम नहीं की हिन्दी प्रदेशों की हिंदी मे ही एकरूपता नहीं है.मध्यप्रदेश मे जिसे संचालक कहते हैं उसे यूपी और केन्द्र मे निदेशक कहा जाता है.जो मध्यप्रदेश मे संभाग है वह बिहार मे मंडल कहलाता है.ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं.तो पहले एकरूपता लाकर हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ाई जानी चाहिए. शिवराज ने अपनी भाषा में पढ़ाई के लिए कई देशों की प्रशंसा करते नहीं थकते पर उन्हे मालूम नहीं की जैसे चीन सिर्फ मैंडोरिन भाषा भाषी है वैसे ही जापान,जर्मनी और रूस मे भी एक ही भाषा बोली जाती है.
               हमारे देश मे तो दो दर्जन से अधिक अधिकृत भाषाऐं हैं.मेडिकल की हिन्दी मे पढ़ाई मे एमपी के बाजी मारने का दावा फरेबी नगाड़े के अलावा कुछ नहीं है.इससे मेडिकल स्टूडेंट्स का अहित ही होगा और वे कॉम्पिटिशन मे पिछड़ जाएंगे.

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