ऐसे हादसों को तो राजनीति से बख्शिए प्रधानमंत्रीजी
श्री श्रीप्रकाश दीक्षित ,संपादक,जनहित मिशन डाट काम
मोरबी जैसे भीषण हादसों के बाद वीवीआइपी को कुछ दिनों तक मौका-ए-वारदात पर ना आने की सलाह दी जाती है ताकि राहत,बचाव और पुनर्वास में जुटीं सरकारी एजेंसियों का ध्यान ना भटके.आज के राजनैतिक माहौल मे इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता है और जब चुनाब का दौर हो तब तो हरगिज नहीं.तभी तो प्रधानमंत्री मोदी ने मोरबी के भीषण हादसे के बाद वहां पहुँचने में देर नहीं की.उनके आने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन अस्पताल की कायापलट में व्यस्त हो गया। रातोंरात रंग रोगन कर नए वाटर कूलर रख दिए गए.एनडीटीवी के अनुसार चालीस लोंगों को पुताई के काम में लगाया गया.गौर करें मोदीजी के गृह प्रदेश गुजरात में अगले महीने चुनाव होने वाले है.मान लेते हैं की गृह प्रदेश की घटना होने से आप अपने को रोक ना सके,पर फोटो खिंचवाने और अख़बारों में छपवाने से बचा जाना था।
प्रधानमंत्री जिस गुजरात के 12 साल से भी अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे वहां के अस्पताओं की ऐसी दुर्दशा.? कुछ साल पहले केरल मे श्रद्धालुओं के मारे जाने की खबर मिलने पर भी मोदीजी बिना वक्त गँवाए वहाँ पहुँच गए थे.तब वहां के डीजीपी ने राहत और बचाव कार्य के चलते मोदीजी के दौरे का विरोध किया था.उनकी इस तत्परता के पीछे भी केरल मे हो रहे चुनाव ही मुख्य कारण रहा और एक चुनावी सभा मे उन्होने इसका खुलासा भी किया.उन्होने सभा मे केरल मे सालों पहले की दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा कि तब मनमोहन सिंह को यहाँ आने की फुर्सत नहीं थी, मगर कोल्लम मे 100 लोगों के मारे जाने के कुछ ही घंटों के भीतर आपका यह सेवक वहाँ हाजिर था.! इस तत्परता को देश के सबसे साक्षर राज्य की जनता ने गंभीरता से नहीं लिया। शायद ही पार्टी का कोई प्रत्याशी वहां चुनाव जीता हो।
अब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज की तत्परता पर नजर डालते है.पिछले सिंहस्थ के समय उज्जैन मे आँधी-तूफान मे सात लोगों की मृत्यु के बाद उसी देर रात उनके पहुँचने और प्रभावितों को चाय पिलाने, तम्बू मे कील ठोंकने और तगाड़ी से गिट्टी डालने को नाटक ही माना गया था.आपदा की खबर उन्हें सीधी मे लगी,जहाँ सरकारी विमान रात मे उड़ाने लायक नहीं था सो दिल्ली से किराए का विमान जबलपुर बुलवाया गया.कार से जबलपुर आकर विमान से उड़ मुख्यमंत्री रात दो तीन बजे तक उज्जैन पहुँचने मे कामयाब हो गए.सबेरा होने से पहले उज्जैन पहुँचने की मुख्यमंत्री की जिद के कारण भाड़े का विमान लेने पर सरकार को लाखों रुपये की चपत लगी.जहां सीधी में प्रशासन देर रात तक उनकी बिदाई मे और फिर जबलपुर तथा उज्जैन में मध्यरात्रि से तड़के तक अगवानी में व्यस्त रहा।