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बे-रहम बिल्डर और रहम दिल प्रशासन...


ना काहू से बैर

राघवेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रकृति की रक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील है। यही वजह है कि वे रोजाना अपनी दिनचर्या पेड़ लगाने से शुरू करते हैं। प्रदेश के विकास के लिए बिजली, पानी और सड़क से लेकर किसानों, कर्मचारियों, भांजे-भांजे की सुरक्षा, पढ़ाई-लिखाई रोजगार नौकरी व उद्योग व्यवसाय के लिए सरकार संवेदनशील रहती है। इसके लिए मुख्यमंत्री दिनरात लगे भी रहते हैं। लेकिन उनके साथ कदमताल करने वाले सहयोगी अलबत्ता पिछड़ते नजर आते हैं।
                      हम समझने की कोशिश करते हैं  पर्यावरण के प्रति उनकी संवेदना से। भोपाल की एक पहाड़ी पर प्रतिदिन एक पेड़ आकर अपना कामकाज शुरू करते हैं लेकिन लंबे समय से चल रही उनकी इस कवायद को आगे बढाने में उनके राजनीतिक और सामाजिक अनुचर भी आगे नही बढ़ा रहे हैं। एक तरह से यह मुख्यमंत्री की प्रशंसा में  जय जयकार करते नहीं थकने वाले समर्थकों की फौज,कैबिनेट के सदस्यों भाजपा संगठन से लेकर कथित स्वयम्भू स्वशासी संगठनों के असली- नकली होने की परीक्षा का दौर है। यदि वे मुख्यमंत्री का अनुकरण नहीं कर रहे हैं तो यह मान लीजिए कि हर दिन परीक्षा में फेल हो रहे हैं। उनका दोगलापन साबित भी हो रहा है। 
                     राजधानी भोपाल से लेकर महानगरों में शामिल इंदौर ग्वालियर जबलपुर के साथ संभागीय, जिला मुख्यालयों, ब्लाक से लेकर ग्राम पंचायतों तक मुख्यमंत्री श्री चौहान की भावना उनके संदेश और उनके आचरण पर अमल की दरकार है। मिसाल के लिए भोपाल से ही शुरु करते हैं राजधानी में बिल्डर बागसेवनिया के संत आशाराम नगर से लेकर बड़ी झील किनारे और बाघों के वितरण स्थल चंदनपुरा पहाड़ी से लेकर केरवा के आसपास वन कटाई के किस्से आम है। संत आसाराम नगर के आसपास परिजनों 100 से अधिक बड़े-बड़े पेड़ एक बिल्डर ने अधिकारियों की मिलीभगत और जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ से काट दिए। इस पर आपत्ति जताने वालों से कहा गया कि बिल्डर ने अपनी निजी भूमि से पेड़ काटे हैं जाहिर है कि वहां वह बहुमंजिला इमारत और डुप्लेक्स बनाकर करोड़ों रुपए कमा लेगा लेकिन वर्षों पुराने हरे भरे पेड़ आखिर उसने कैसे और किसकी अनुमति से काट लिए।इसके बकायदा प्रमाण भी है। प्रशासन की नाक के नीचे यह यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि बागड़ ही खेत रही है। कुछ साल पहले प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री कमलनाथ हुआ करते थे चंदनपुरा की पहाड़ी पर रातो रात सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे इसकी शिकायत जब मुख्यमंत्री से की गई तो उन्होंने टका सा जवाब दिया कि विकास होगा तो पेड़ तो कटेंगे। इसके बाद सहयोग से फिर भाजपा की सरकार आई और फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने लोगों ने उम्मीद की अब ना पेड़ कटेंगे और ना आम जनता दुखी रहेगी। सीएम शिवराज तो दिन रात जनता की सेवा में है लेकिन प्रशासन की जड़ता यह है जब तक मुख्यमंत्री श्री चौहान विभाग के अफसरों, कलेक्टर- एसपी को नहीं जगाते तब तक लगता है सब चादर  ओढ़ कर सोते हैं। भोपाल में ही बिल्डर बेरहमी से पेड़ काट रहे हैं और प्रशासन रहम दिल बन कर रियायत और वह दे रहा है अब इस मुद्दे पर भी जब सीएम सक्रिय होने को कहेंगे तब कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
                      वरिष्ठ पत्रकार राकेश दुबे अपने कॉलम प्रतिदिन समाचार में लिखते हैं कि पांच साल (2016 से 2019) में प्रदेश के 11 संरक्षित क्षेत्रों से चोर 69,585 वृक्ष काटकर ले गए। इसमें सबसे अधिक 19,681 पेड़ रायसेन जिले में स्थित रातापानी अभयारण्य से चोरी हुए हैं। दूसरे नंबर पर सागर जिले का नौरादेही अभयारण्य है। जिससे 10,059 वृक्ष काटकर चुराए गए हैं। यह इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि भोपाल के नजदीक रातापानी अभयारण्य एक मात्र ऐसा स्थान है, जिसमें 60 से अधिक बाघ हैं। यहां के बाघ भोपाल शहर के नजदीक तक आते हैं। वहीं नौरादेही अभयारण्य को चीता परियोजना के तहत चिह्नित किया गया है। यदि इनसे वृक्ष चोरी होते रहेंगे, तो भविष्य में वन्यप्राणियों के लिए भी खतरा बढ़ सकता है।
उज्जैन में भक्तों सैलाब और सोता प्रशासन...
                     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के समूचे भारत के साथ वैश्विक स्तर पर एक बार उज्जैन फिर शिखर पर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में महाकाल लोक को ऐतिहासिक ढंग से सजाने संवारने का जो काम हुआ उससे पीएम मोदी भी प्रसन्न हो गए। इसकी प्रसिद्धि जब देशभर में हुई तो यहां आने वाले भक्तों का हर दिन सैलाब आने लगा। अपेक्षा से अधिक लोगों के आने से महाकुंभ जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन की व्यवस्था करने वाला उज्जैन का प्रशासन असफल होता दिख रहा है। पिछले दिनों हमारे कुछ मित्र दिल्ली से उज्जैन पहुंचे थे। वे महाकाल लोक को देखकर तो गदगद हो गए लेकिन कमजोर प्रशासनिक व्यवस्था से परेशान हो गए। उनके दुखी होने से शिवराज सरकार की छवि और भाजपा की साख को नुकसान हो रहा है। दो दो लाख श्रद्धालुओं की भीड़ उज्जैन में उमड़ रही है। भक्तों के लिए छायादार स्थान से लेकर पीने के पानी और महिलाओं व बच्चों के लिए वॉशरूम तक प्रबन्ध काफी कम पड़ रहे हैं। सरकार को जो वाहवाही मिली थी अब अव्यवस्था और लापरवाही के कारण बदनामी में बदल रही है। यहां भी लगता है प्रशासन सीएम के जगाने का इंतजार कर रहा है।

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