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ऐसी क्या जल्दी थी हिंदी में डाक्टरी की पढ़ाई की..!


श्री श्रीप्रकाश दीक्षित ,संपादक,जनहित मिशन डाट काम
                        मेडिकल ओर इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में करने के लिए सिर्फ मध्यप्रदेश नहीं बल्कि सभी एक दर्जन हिंदीभाषी राज्य उत्सुक हैं.इसलिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज इस मामले मे अग्रणी होने की निरर्थक उपलब्धि की मारामारी के बजाए हिंदी राज्यों के साथ मिल बैठकर काम करते तो बेहतर होता.इस कामं के लिए वर्धा के हिंदी विवि को भी भागीदार बनाया जाना चाहिए.हम भोपाल के हिंदी विवि का नाम नहीं ले रहे क्योंकि वहां प्रोफेसर्स ही नहीं हैं.कुल मिला कर ऐसे जटिल विषयों की पढ़ाई हिंदी में प्रारंभ करने के लिए व्यापक विमर्श और होमवर्क जरूरी था जो नहीं किया गया,भले दावा कुछ भी हो.इसके शुभारम्भ समारोह में अदभुत कसीदे गढ़े गए.अमित शाह ने इसे पुनर्जागरण और पुनर्निर्माण का लम्हा बताया वहीँ  शिवराज ने सामाजिक क्रांति और अंगरेजी की गुलामी से मुक्ति घोषित कर अपनी पीठ ठोंकी.
                          शिवराज को शायद मालुम नहीं की हिन्दी प्रदेशों की हिंदी मे ही एकरूपता नहीं है.मध्यप्रदेश मे जिसे संचालक कहते हैं उसे यूपी और केन्द्र मे निदेशक कहा जाता है.जो मध्यप्रदेश मे संभाग है वह बिहार मे मंडल कहलाता है.ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं.तो पहले एकरूपता लाकर हिन्दी की स्वीकार्यता बढ़ाई जानी चाहिए.बेहतर होता प्रारंभ मे डाक्टरों को हिंदी मे दवाऐं लिखने के लिए प्रेरित किया जाता.पर तब शिवराज मोदीजी के स्वप्नों को साकार करने के श्रेय से वंचित रह जाते जिसके लिए अमित शाह उनकी तारीफ़ कर गए हैं.शिवराज ने अपनी भाषा में पढ़ाई के लिए कई देशों की प्रशंसा की है.उन्हे शायद मालूम नहीं की जैसे चीन सिर्फ मैंडोरिन भाषा भाषी है वैसे ही जापान,जर्मनी और रूस मे भी एक ही भाषा बोली जाती है.
                         हमारे देश मे तो दो दर्जन से अधिक अधिकृत भाषाऐं हैं.मेडिकल की हिन्दी मे पढ़ाई मे एमपी के बाजी मारने का दावा फरेबी नगाड़े के अलावा कुछ नहीं है.इससे मेडिकल स्टूडेंट्स का अहित ही होगा और वे कॉम्पिटिशन मे पिछड़ जाएंगे.इस तरफ भी ध्यान नहीं दिया गया है की मेडिकल प्रोफेसर्स रातोंरात हिंदी की पढ़ाई के लिए कैसे तैयार हो पाएँगे.वैसे भी सरकार की अदूरदर्शिता ओर कोविड के दौरान नए नए अस्पताल खुल जाने से डाक्टरों की सरकारी नौकरी में दिलचस्पी नहीं रहीं.ऐसे में हिंदी में पढ़ाई के लिए मशक्कत करने की बनिस्पत मेडिकल प्रोफेसर्स कहीं पलायन ना करने लगें..? तब नए खुले मेडिकल कालेजों और प्रदेश में खुलने वाले २१ मेडिकल कालेजों की पढ़ाई पर कहीं ग्रहण ना लग जाए..?

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