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प्रधानमंत्री जी उज्जैन से 140 किमी दूरी पर है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, यहां भी तो आइये…


कीर्ति राणा ,वरिष्ठ पत्रकार

करंट इश्यू 

उदारमना मोदी जी से नर्मदा किनारे स्थित इस  ज्योतिर्लिंग के लिए भी कुछ मांग लीजिये शिवराज जी


                  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आपका पुरातन नगरी उज्जैन में महाकाल भक्तों की तरफ से आज शाम स्वागत है। आप महाकाल के दर्शन-पूजन और महाकाल लोक को श्रद्धालुओं को लोकार्पित भी करेंगे। बस एक छोटा सा सुझाव है आप जब कार्तिक मेला सभा मंच से महाकाल से अपने लगाव और उनकी महिमा का गुणगान करें तो जय महाकाल की अपेक्षा आमजन से ‘जयश्री महाकाल’ का उदघोष कराएं।देवाधिदेव के प्रति हमारे इस आस्था भाव को ऐसे समझा जा सकता है कि हम महाकाल भक्त नित्य प्रति के अभिवादन में भी ‘जयश्री महाकाल’ ही कहते हैं। 
                निमाड़ क्षेत्रवासियों की भावना मुख्यमंत्रीजी आप ही मोदी जी को बताइए कि जिस नर्मदा नदी के पानी ने सरदार सरोवर के माध्यम से गुजरात की तरक्की को बढ़ाया है उसी पवित्र नदी के किनारे मांधाता पर्वत पर स्थापित है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग।यह धरती पौराणिक कथाओं में इसलिए भी अपनी खास पहचान रखती है कि आदि शंकराचार्य ने यहीं पर गुरु गोविंदापादाचार्य जी से गुरु दीक्षा ग्रहण की थी। 
              मोदी जी, आप तो हर रविवार हम सब से मन की बात करते ही हैं, आज आप से मैं हमारे महाकाल भक्त शिवराज सिंह चौहान के माध्यम से ‘अपने मन की’ बात कहना चाहता हूं।
            आप ने उज्जैन को तो खूब दे दिया लेकिन यहां से 140 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा किनारे स्थापित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग आज भी अपने मान-सम्मान की अनदेखी का शिकार है। आज जब आप हमारे बीच आए हैं तो हमारी भी सुन लीजिए..। इस ज्योतिर्लिंग तीर्थ क्षेत्र के विकास के लिए आप ठान लें तो असंभव कुछ नहीं।अवंतिका नगरी में यदि महाकाल भक्त आप के दीवाने हुए हैं तो यहां ओंकार भक्त भी अपना प्रेम भाव लुटाने को आतुर हैं बस आप एक बार ओंकारेश्वर का ध्यान तो कीजिए। 
                यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के रूप में अयोध्या, उज्जैन की ही तरह नक्शे पर उभर सकता है। नर्मदा नदी है, पर्वत श्रृंखला है, भरपूर हरियाली है बस अभाव है तो उदार भाव का। 2004 के सिंहस्थ में इस तीर्थ क्षेत्र के लिए ओंकारेश्वर साडा ने मास्टर प्लान तैयार किया था। केंद्र के विशेषज्ञ संशोधन कर उस मास्टर प्लान मुताबिक ही विकास-सौंदर्यीकरण की योजनाओं को अंजाम दे दें तो उज्जैन के ‘महाकाल लोक’ के साक्षी बनने वाले ओंकारेश्वर के विकास में आप की दिलचस्पी को भी देखने-समझने आएंगे। उन का यह विश्वास मजबूत होगा कि चाहे राम मंदिर हो, काशी-विश्वनाथ मंदिर हो, महाकालेश्वर हो या ओंकारेश्वर आस्था और सनातन धर्म के प्रतीक  इन क्षेत्रों का विकास भाजपा के वक्त ही मूर्त रूप ले पाता है। 
                 उत्तर प्रदेश चुनाव में यदि काशी विश्वनाथ मंदिर ने भाजपा को पुन: राज योग का आशीर्वाद दिया  है तो 2024 के विधानसभा चुनाव में महाकाल लोक भी निराश नहीं करेगा। मालवांचल में जिस तरह महाकाल के प्रति पल पल आस्था नजर आती है निमाड़ क्षेत्र में ओंकारेश्वर के प्रति उतना ही समर्पण तो है लेकिन, कसक भी है कि दादाजी धूनीवाले के खंडवा जिले के इस तीर्थ क्षेत्र के प्रति आज तक सरकार के मन में समर्पण भाव क्यों नहीं उमड़ा।जबकि मालवा की तरह आदिवासी बहुल निमाड़ क्षेत्र पर भाजपा के रणनीतिकारों की भी सदैव नजर रही है।पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए जिन भी कारणों से गड्डा रहा हो यह एक सुअवसर है कि अपनी उज्जैन यात्रा में कार्तिक मेला के सभा मंच से आप ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रति भी अपना श्रद्धा भाव प्रकट करें। ओंकारेश्वर का महत्व इससे जान लें कि शास्त्र मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहाँ नहीं चढ़ाता उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं। ओंकारेश्वर तीर्थ के साथ नर्मदाजी का भी विशेष महत्व है।
इस क्षेत्र के विकास की बड़ी बाधा तो दूर हो चुकी है, बस सरकार को सजगता दिखाना है।
▪️ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र के विस्तार और विकास के लिए जमीन संबंधी बाधा तो पांच साल पहले दूर हो चुकी है। 
मंदिर से लगी जूना महल की जिस जमीन का केस चल रहा था उस 4 एकड़ जमीन का फैसला 5 साल पहले मंदिर संस्थान के पक्ष में हो चुका है।बस सरकार को एक्शन मोड में आना है।
▪️मनचाहे निर्माण, होटल-लॉज संचालकों द्वारा नियम विरुद्ध कराए जा रहे निर्माण, अव्यवस्थित बसाहट जैसे कारणों से इस तीर्थ क्षेत्र की गरिमा को बचाना आवश्यक है। 
▪️ इंदौर-खंडवा सिक्स लेन का कार्य पूर्ण होना तो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षेत्र के हित में ही है।मंदिर क्षेत्र को अवैध निर्माणों से मुक्त कराने के साथ ही मार्गों का चौड़ीकरण, घाटों का निर्माण जरूरी है।
▪️बेहतर होगा कि मोदी सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए भी उदारता दिखाए।कार्य योजना को शीघ्र अंजाम देने के लिए राज्य सरकार पृथक से आइएएस अधिकारी नियुक्त करें। 
▪️नर्मदा नदी के किनारों पर स्थापित घाटों को आपस में जोड़ दिया जाए तो ओंकार पर्वत परिक्रमा का बेहतर मार्ग तो बन ही जाएगा।
भक्तों के लिए स्नान के घाट अलग हों और नाव स्टैंड के लिए अलग घाट कर दिए जाएं।
▪️घाटों के सुधार-निर्माण आदि से पर्वत क्षेत्र भी नदी के थपेड़ों की मार से कमजोर होने से बच सकेगा। 
▪️निजी संस्थाओं द्वारा निर्मित कराए अभय घाट, नागर घाट तो फिर भी ठीक हैं लेकिन सरकारी एजेंसियों द्वारा बनवाए वो घाट तो छह साल में ही जर्जर मैदान में बदल गए हैं जिनका निर्माण 2016 में उज्जैन सिंहस्थ के लिहाज से किया गया था। 
▪️व्यवस्थित घाट चक्रतीर्थ, कोटि तीर्थ, केवल राम और गोमुख घाट पर ही श्रद्धालुओं का अधिक दबाव रहता है। 
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मप्र के दूसरे ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर के 
लिए भी इंदौर से उपलब्ध हैं पर्याप्त साधन
प्रधानमंत्री जी आप को तो ज्ञात है ही कि देश में जो 12 ज्योतिर्लिंग हैं उनमें हमारा मध्य प्रदेश ऐसा सौभाग्यशाली प्रदेश है जहां दो ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। इंदौर से दोनों ज्योतिर्लिंग के लिए पर्याप्त साधन-सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध है। 
याद है ना 2004 के सिंहस्थ में आपने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में क्षिप्रा में कुंभ स्नान किया था और अब जब उसी महाकाल भूमि पर आप देश के प्रधान सेवक के रूप में मंगलवार को नतमस्तक हो रहे हैं तो चार साल पहले उज्जैन में सिंहस्थ (2028) वाला आस्था का महासागर हिलोरे ले रहा है-वजह सिर्फ आप और भाजपा का अध्यात्म-दर्शन है, अपने एजेंडे में ओंकारेश्वर को भी शामिल कर चमत्कार भी देख लीजिये।

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