कोरोना टीकाकरण जैसा ही टीकाकरण लंपी वायरस से पीड़ितों का हो
संदीप कुलश्रेष्ठ
देश में लंपी वायरस से 58 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी देश के 16 राज्यों में फैल चुकी है। अब यह बीमारी सामान्य बीमारी न होकर महामारी का रूप ले चुकी है। इसलिए केन्द्र सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार देश में कोरोना महामारी को रोकने के लिए निःशुल्क टीकाकरण अभियान आरम्भ किया गया था, ठीक उसी प्रकार का निःशुल्क टीकाकरण का अभियान लंपी वायरस से पीड़ित गायों के लिए भी किया जाना चाहिए।
सबसे ज्यादा प्रकोप राजस्थान में -
लंपी वायरस से देश के 16 राज्य प्रभावित है। इन राज्यों में सबसे अधिक प्रभावित राज्य राजस्थान है। इसके बाद सबसे अधिक प्रभावी राज्यों में से पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और दिल्ली राज्यों के मवेशियों में यह लंपी वायरस अधिक फैल चुका है। इसलिए देशव्यापी टीकाकरण अभियान समय की आवश्यकता है।
मवेशियों पर निर्भर किसान बुरी तरह प्रभावित -
पिछले तीन महीने से भी अधिक समय से लंपी वायरस गायों में अपने पैर पसार चुका है। इनमें सबसे बुरी हालत उन किसानों की है, जिनका व्यवसाय पूरी तरह मवेशियों पर ही निर्भर है। इन किसानों की हालत बहुत बुरी है। लंपी वायरस से पीड़ित गायों की मौतां ने उनकी आर्थिक स्थिति बूरी तरह बिगाड़ दी है। इन किसानों की आर्थिक मदद करना अब बहुत जरूरी हो गया है। जिन किसानों और पशु मालिकों की गायों की लंपी वायरस से मौत हुई है, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश में 7 हजार से अधिक गाय पीड़ित -
मध्यप्रदेश के करीब आधे जिले अर्थात् 26 जिलों के 1912 गाँव इस लंपी वायरस की चपेट में आ चुके है। अभी तक प्रदेश में 100 से अधिक गायों की मौतें इस बीमारी से हो चुकी है। मध्यप्रदेश के वे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित है, जो राज्स्थान और गुजरात से लगे हुए हैं। इन जिलों में प्रमुख है अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़, बुरहानपुर आदि।
टीकों की नहीं हो कमी -
गायों में लंपी वायरस अभी भी तेजी से फैल रहा है। इसके प्रकोप पर अभी भी रोक नहीं लगाई जा सकी है। लंपी वायरस की वैक्सीन अभी तक वैसे आई नहीं है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि इस दिशा में तेजी से प्रयास करें और लंपी की वैक्सीन जल्दी से जल्दी लाने के लिए वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करें। अभी लंपी की वैक्सीन नहीं आने के कारण वैकल्पिक वैक्सीन गोट पॉक्स दी जा रही है। यह वैक्सीन बकरियों और भेड़ों को दी जाती है। गायों को इसकी तीन गुना डोज देना पड़ती है। यह बीमारी तेजी से फैल रही है। इस कारण टीके की कमी पड़ गई है। मध्यप्रदेश के ही 6 जिलों ख्ांडवा, मंदसौर, शिवपुरी, बैतूल, छतरपुर और दमोह में वैक्सीन की एक भी डोज बची नहीं है। जबकि यहाँ पर पर्याप्त टीकाकरण भी नहीं हो पाया है। पशुपालकों को यह टीका बाजार से खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस टीके के एक वायल की कीमत 600 से 800 रूपये पड़ रही है। उसमें एक वायल से 33 पशुओं को टीका लगाया जा सकता है। ऐसी ही स्थिति देश के अन्य राज्यों में भी देखी जा रही है। इसलिए तुरन्त वैक्सीन की आपूर्ति सभी राज्यों में की जाना अत्यन्त आवश्यक है।
गौ रक्षक यहाँ दे अपनी सेवा -
देशभर में गौ रक्षक गायों की रक्षा के लिए मरने मारने पर उतारू हो जाते है। गौ का परिवहन करने वाले को पकड़कर उन्हें इतना पीटा जाता है कि उनकी मौत हो जाती है। किन्तु इन गौ रक्षकों का ध्यान लंपी वायरस से पीड़ित गायों की सेवा पर अभी तक गया हो ऐसा दिखाई नहीं देता है। यह अत्यन्त दुखद है। यदि वह सच्चे मायने में गौ सेवक हैं तो अपने-अपने जिलों में लंपी वायरस से पीड़ित गायों के टीकारकरण पर और उनकी सेवा पर ध्यान दें तो यही वास्तव में सही गौ सेवा होगी।
केन्द्र सरकार राज्यों के समन्वय से करें कार्य -
केन्द्र सरकार यूं तो लंपी वायरस से प्रभावित राज्यों पर नजर रखे हुए है, किन्तु केन्द्र सरकार इस दिशा में बहुत देरी से चैती। इस कारण राजस्थान और गुजरात से यह बीमारी देश के 16 राज्यों में फैल चुकी है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे राजनैतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सभी राज्यों में इस बीमारी की रोकथाम के लिए तेजी से प्रयास करें।
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