दुष्कर्म के कारणों की पड़ताल है जरूरी
डॉ. चन्दर सोनाने
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नीलबड़ स्थित बिलाबॉन्ग स्कूल में पढ़ने वाली साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची के साथ स्कूल बस ड्राइवर ने स्कूल की बस में 8 सितम्बर को दुष्कर्म किया। उसने बच्ची के साथ एक से ज्यादा बार अलग-अलग समय में ज्यादती की थी। इसके अतिरिक्त दो और बच्चियों के साथ भी वारदात करने की आशंका मध्यप्रदेश बाल आयोग ने व्यक्त की है। एक और दुःखद बात इसमें यह रही कि ड्राइवर द्वारा किए गए दुष्कर्म की जानकारी एक टीचर और आया को भी थी। यही नहीं स्कूल के डायरेक्टर, प्रिंसीपल और चेयरमेन भी घटना को तीन दिन तक छिपाते रहे। इसलिए उनके विरूद्ध भी प्रकरण दर्ज किया गया है।
उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के निघासन थाना क्षेत्र के एक गाँव में पिछले दिनों अनूसूचित जाति के दो नाबालिक बहनों के शव पेड़ से लटके मिलने के बाद परिजनों की शिकायत पर उनका पोस्टमार्डम किया गया तो रिपोर्ट में दोनां के साथ दुष्कर्म होने और गला दबाकर हत्या करने की पुष्टी हुई। इस संबंध में 6 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया।
उक्त दो घटनाएँ बच्ची और नाबालिक बच्चियों के दुष्कर्म करने के उदाहरण मात्र है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2021 की रिपोर्ट में यह पाया गया कि पूरे देश में नाबालिक बच्चियों से दुष्कर्म के कुल 33,036 मामले दर्ज किए गए। इसमें से अकेले मध्यप्रदेश में ही देश में सबसे अधिक 3,515 मामले दर्ज किए गए। अर्थात हर 3 घंटे में बच्ची से दुष्कर्म हुआ। यह अत्यन्त दुःखद है। साथ ही हर एक को चिंतन - मनन करने के लिए बाध्य करता है।
दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को निर्भया प्रकरण में जो प्रमुख दोषी पाए गए थे, उनमें एक नाबालिक भी था। यहाँ विचारणीय बात यह है कि अन्य दोषियों की तुलना में नाबालिक दोषी ने निर्भया के साथ में अधिक दरिन्दतापूर्वक और बर्बरतापूर्वक व्यवहार किया था। इस निर्भया केस के प्रकरण के बाद देशभर में दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए स्वस्फूर्त आंदोलन चला। इसके कारण बाध्य होकर केन्द्र सरकार ने नियमों में परिवर्तन किए और कठोर सजा फाँसी तक का प्रावधान भी किया। इसके बावजूद बच्चियों से हो रही दरिंदगियों और नाबालिक तथा महिलाओं से हो रहे दुष्कर्म की संख्याओं में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोत्तरी हुई। यह एक अत्यन्त गंभीर मामला है, जिस पर ध्यान नहीं दिया गया।
निर्भया प्रकरण के बाद और केन्द्र शासन के सख्त नियमों को बनाने के बाद सामान्य रूप से यह माना गया कि दुष्कर्म के प्रकरणों में कमी आयेगी, किन्तु ऐसा नहीं हुआ ! पिछले एक दशक में बच्चियों, नाबालिकों और महिलाओं के दुष्कर्म में निरंतर हो रही वृद्धि हमें मजबूर करती है कि हम इनके कारणों की पड़ताल करें ! यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि दुष्कर्म के जो प्रकरण दर्ज होते हैं, उससे कई गुना अधिक प्रकरण ऐसे हैं, जो लोकलाज की वजह से थाने में दर्ज ही नहीं हो पाते हैं। यह भी एक गंभीर मसला है। इसके भी कारणों की पड़ताल जरूरी है।
दुष्कर्म के आरोपियों और दोषियों का सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठ भूमि का अध्ययन करना भी आवश्यक है। इसके साथ ही मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गहन अध्ययन की सख्त आवश्यकता है। एक मनोचिकित्सक के अनुसार जबसे मोबाइल क्रान्ति हुई है। नाबालिकों और वयस्कों के हाथों में जबसे मोबाइल आए है और उस पर जब किसी ने उत्सुकतापूर्वक ही अश्लील साइट और पोर्न फिल्म को देख लिया है तो मोबाइल में स्वतः ही बिना सर्च किए वह साइट उनको बार-बार दिखने लगती है। इसे बार-बार देखने से नाबालिक और वयस्क अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं और वे शिकार की तलाश करने लगते हैं। उनके इस कुत्स्ति प्रयासों में छोटी बच्चियाँ और नाबालिक जल्द ही पकड़ में आ जाती है, और वे दरिंदगी पर उतर आते हैं। यह भी देखा गया है कि दुष्कर्म के करीब 90 प्रतिशत प्रकरणों में आरोपी या दोषी उस बच्ची या नाबालिक के परिचित या निकट सगे संबंधी ही होते हैं। करीब 10 प्रतिशत से भी कम प्रकरणों में आरोपी या दोषी अपरिचित पाए गए हैं। यह अत्यंत गंभीर और चिंतनीय बात है।
बच्चियों, नाबालिकों और महिलाओं से दुष्कर्म के आरोपियों और दोषियों पर प्रभावी रोकथाम के लिए यह अत्यन्त जरूरी है कि आरोपी और दोषियों का गहन मनोचिकित्सकीय परीक्षण किया जाए। उन कारणों का पता लगाया जाए जिसके वशीभूत होकर वे बर्बरता पर उतर आते हैं। उन कारणों की पड़ताल से प्राप्त परिणाम के आधार पर ही केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को प्रभावी कार्रवाई करना पड़ेगी तभी दुष्कर्म पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।
बच्चियों, नाबालिकों और महिलाओं से दुष्कर्म का मसला एक राष्ट्रीय मसला है। इस पर राजनैतिक मतभेदां से ऊपर उठकर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। और इस दिशा में केन्द्र शासन और राज्यों के साथ मिलकर एक सुनियोजित तरीके से अध्ययन करने का प्रयास करें। यह आज की एक महति आवश्यकता है। हमारे देश में बच्चियाँ सुरक्षित नहीं है । यह हम सबके लिए शर्म की बात है। इसलिए सभी राजनैतिक दलों , केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को एक साथ इस कलंक को मिटाने के लिए आगे आना होगा, तभी दुष्कर्म पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।
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