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सरकारी स्कूलों को मूलभूत सुविधाएँ कब मिलेगी ?


     संदीप कुलश्रेष्ठ
                प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हाल ही में देश के करीब 1500 स्कूलों को पीएमश्री स्कूल के रूप में उन्नयन करने की घोषणा की है। इसके पूर्व इसी शैक्षणिक सत्र में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में सीएम राइज स्कूल खेलने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री को देश में स्कूलों की दशा सुधारने के लिए घोषणा करने का जिस प्रकार अधिकार है, उसी प्रकार राज्यों में मुख्यमंत्री को भी है। इसमें किसी को कोई एतराज नहीं है। किन्तु सवाल यह है कि देश और प्रदेशों के सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएँ जहाँ नहीं है, वहाँ उन्हें कब नसीब होगी ? सबसे पहले स्कूलों की दशा सुधारने के लिए उन्हें मूलभूल सुविधाओं से सज्जित करना जरूरी है। श्रेष्ठ परिणाम सिर्फ घोषणाओं से नहीं मिलेंगे।
स्कूल का हो भवन -
                 सरकारी स्कूलों में सबसे पहले प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में कक्षाओं के मान से स्कूल भवन होना बहुत जरूरी है। यह स्कूल की मूलभूत आवश्यकता है। और इन स्कूलों में कक्षाओं के अनुसार कक्ष भी होना जरूरी है। इस मामले में देश और प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत इस मापदंड पर खरी नहीं उतरती है। सबसे पहले स्कूलों के लिए उसका निजी भवन होना आवश्यक है। यहाँ दुखद बात यह भी देखने में आती है कि कई स्कूलों को अभी भी उसका भवन मयस्कर नहीं हुआ है। वहाँ खुले में स्कूल लगता है। मध्यप्रदेश के खंडवा शहर के ही आनंद नगर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में चलने वाले सीएम राइज स्कूल में सीढ़ियों पर क्लास लग रही है। शिक्षक बरामदे में बैठने को मजबूर है। हालत यह भी है कि 40 की क्षमता वाली कक्षा में 80 विद्यार्थी बैठकर पढ़ रहे हैं। इसके बाद भी जो विद्यार्थी बच जाते है उन्हें सीढ़ियों पर बैठाकर पढ़ाने के लिए शिक्षक मजबूर है। खंडवा जिले के ही अन्य 6 सीएम राइज स्कूलों में भी लगभग यही हालात है। इस जिले के किसी भी सीएम राइज स्कूल में स्थाई प्राचार्य नहीं है। 
हर स्कूल में हो पर्याप्त शिक्षक -
                देश और राज्यों के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षाओं के मान से शिक्षक होना जरूरी है, किन्तु यहाँ भी यह देखने में आ रहा है कि कई स्कूल शिक्षक विहीन और कई स्कूलों में शिक्षकों की अत्यधिक कमी है। इस कारण कई प्राथमिक विद्यालयों में एक ही शिक्षक पाँचों कक्षाएँ पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। इससे उस स्कूल के स्तर का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। देश के प्रत्येक राज्यों में सरकारी विद्यालयों में इस मामले में स्थिति संतोषजनक नहीं कहीं जा सकती। यह दुखद है।
स्कूलों में मूलभूत सुविधाएँ हो -
                   प्रत्येक सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए ब्लैक बोर्ड, बैठने के लिए टेबल कुर्सी अथवा टाट पट्टी, पीने का पानी, छात्र-छात्राओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय होना भी जरूरी है। वर्तमान में अपवाद को छोड़कर सरकारी स्कूलों में इस संबंध में स्थिति संतोषप्रद नहीं है। हर एक स्कूल में यह होना जरूरी है। 
सरकारी स्कूलों के हालात सुधरें -
                 राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्यों में सीएम राइज स्कूल खोलने के पहले कम से कम यह भी देख लें कि वहाँ स्कूलों के मापदंड के अनुसार मूलभूत सुविधाएँ है भी कि नहीं ? यदि नहीं है और यह हो सकता है तो पहले वहाँ मूलभूत सुविधाएँ मुहैया कराएँ। इसके बाद ही सीएम राइज स्कूलों के रूप में उस स्कूल का उन्नयन करें, ताकि छात्रों और शिक्षकों को विद्याध्ययन करने में किसी प्रकार की परेशानी न हों । यही बात पीएमश्री स्कूलों के लिए भी लागू होती है। 
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